भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आम लोगों के लिए बड़ी घोषणा की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार रेपो रेट को छह फीसदी से घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है। एमपीसी के सभी छह सदस्यों, डॉ. चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ. रविंद्र एच ढोलकिया, डॉ. मिशेल देबब्रत पात्रा, डॉ. विराल वी आचार्य और शक्तिकांता दास ने रेपो रेट में कटौती का समर्थन किया। रेपो रेट के अतिरिक्त रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती की गई है। नई मौद्रिक नीति के तहत रिवर्स रेपो रेट घटकर 5.50 फीसदी पर आ गया है, जबकि बैंक रेट छह फीसदी पर है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की।
लगातार तीसरी बार घटा रेपो रेट
केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए इस साल फरवरी और अप्रैल में रेपो रेट में 25-25 आधार अंकों (0.25 फीसदी) की कटौती की थी। हालांकि अप्रैल में जब आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती की गई थी, तब कुछ ही बैंकों ने इसका लाभ लोगों को दिया था।
इसलिए उठाया गया कदम
दरअसल आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से आरबीआई पर ब्याज दर में कटौती का दबाव बढ़ गया था। इसी वजह से ये कदम उठाया गया। वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही, जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। ऐसे में केंद्रीय बैंक की कोशिश है कि सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में नकदी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज की जाए।
आपको ऐसे होगा फायदा
रेपो रेट में कटौती का आम लोगों को भी फायदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव रहेगा। इससे लोगों को लोन सस्ते में मिल जाएगा। इसके अलावा जो होम, ऑटो या अन्य प्रकार के लोन फ्लोटिंग रेट पर लिए गए हैं, उनकी ईएमआई में भी कमी हो जाएगी।