स्वास्थ्य

अब कैंसर से पीड़ित महिलाएं भी बन पाएंगी मां!

_78061345_m8050619-pregnant_women-splकैंसर पीड़ित महिलाओं को अब बच्चे के लिए किराए की कोख यानि सरोगेसी पर डिपेंड नहीं रहना पड़ेगा। वो अब खुद भी मातृत्व सुख पा सकेंगी। ब्रिटेन में हाल ही में कैंसर से उबरने वाली एक महिला इलाज से पहले संरक्षित अंडाणुओं से मां बनने में कामयाब हुई है। इससे कैंसर पीड़ित महिलाओं को विज्ञान की मदद से मातृत्व सुख मिलने की नई उम्मीदें जगी हैं। आपको बता दें कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का मरीज पर साइड इपफेक्ट पड़ता है। 

ये दवाएं महिलाओं के न सिर्फ अंडाशय में मौजूद अंडाणुओं को नष्ट करती हैं, बल्कि नए अंडाणुओं का उत्पादन भी रोक देती हैं। यहां तक कि अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से महिलाओं में समयपूर्व रजोनिवृत्ति और बांझपन का भी खतरा रहता है। ऐसे में कैंसर पीड़ित महिलाओं के लिए कीमोथेरेपी से पहले अंडाशय का कुछ हिस्सा संरक्षित करवाना बेहतर आॅप्शन है। डॉक्टर महिलाओं के शरीर से निकाले गए अंडाशय को अमूमन तरल नाइट्रोजन में -170 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर फ्रीज करते हैं, ताकि उसमें मौजूद स्वस्थ अंडाणु सालों-साल सुरक्षित रहें। 

जून में मिला मातृत्व सुख 31 वर्षीय ब्रिटिश महिला दस साल पहले किडनी के कैंसर का शिकार हुई थी। डॉक्टरों ने कीमोथेरेपी शुरू करने से पहले सर्जरी के जरिए महिला के अंडाशय का कुछ हिस्सा निकालकर फ्रीज कर दिया था, ताकि कैंसर से उबरने के बाद उसके मां बनने की संभावना बरकरार रहे। 2015 में कैंसर के सफल इलाज के दो साल बाद एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने संरक्षित अंडाशय को महिला के गर्भ में दोबारा प्रतिरोपित कर दिया। 

साल के अंत में वह अंडाशय में मौजूद स्वस्थ अंडाणुओं की मदद से प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में कामयाब हुई। जून 2016 के अंत में महिला ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म भी दिया है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फिलहाल दुनिया भर में केवल 30 महिलाएं फ्रीज किए गए अंडाशय के प्रतिरोपण से मातृत्व सुख की प्राप्ति कर पाई हैं। 

इनमें से भी ज्यादातर को गर्भधारण के लिए इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का सहारा लेना पड़ा है। ऐसे में ब्रिटिश महिला का संरक्षित अंडाशय से मां बनना कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए किसी सौगात से कम नहीं है।

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