फीचर्ड

अब नदी के बहते पानी से नहीं, नसों में बहते खून से बनेगी बिजली

नई दिल्ली : अब तक हम नसों में बहने वाले खून को जीवनदाता कहते थे, इसके दान को जीवनदान और महादान की संज्ञा भी दी जाती है। लेकिन अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आप असमंजस में पड़ जायेंगे।

दरअसल, अब मानव रक्त यानि खून से बिजली भी बनेगी। जी हाँ, ऐसा हम नहीं बल्कि वैज्ञानिकों का मानना है और इसके लिए उन्होंने एक उपकरण भी विकसित कर लिया है, जिससे शरीर की धमनियों में बहते खून की ऊर्जा को बिजली में बदला जा सकता है। इस उपकरण का नाम है लाइटवेट पावर जनरेटर।

अब तक मानव विभिन्न उद्देश्यों के लिए बहते या गिरते जल की ऊर्जा से ही बिजली बनाते आ रहे हैं, लेकिन अब नसों में बहते खून से भी बिजली पैदा की जा सकेगी। दरअसल, चीन के फुडन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक मिलीमीटर से भी कम मोटा फाइबर तैयार किया है, जो पतली ट्यूब या रक्त वाहिका में नमकीन घोल से घिरे होने पर बिजली पैदा करता है।

चीन के वैज्ञानिक द्वारा तैयार किए गए फाइबर के निर्माण का सिद्धांत बहुत ही सरल है, जिसमें कार्बन नैनोट्यूब की एक क्रमबद्ध सारणी लगातार एक पॉलीमरिक कोर के चारों ओर लपेटी जाती है। कार्बन नैनोट्यूब को एक इलेक्ट्रोएक्टिव के रूप में जाना जाता है। इन्हें शीट्स में काता और श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। इलेक्ट्रोएक्टिव धागों में कार्बन नैनोट्यूब शीट्स को आधे माइक्रोन से भी कम मोटाई के फाइबर कोर को लपेटा जाता है।

 वैज्ञानिकों ने रक्तों ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए धागे या फाइबर शेपड फ्लूडिक नैनोजनरेटर को इलेक्ट्रोड्स से जोड़ा जाता है और इसे बहते पानी या नमकीन घोल में डुबोया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शोध के दौरान एफएफएनजी और घोल के रिलेटिव मोशन के कारण बिजली उत्पन्न हुई। इससे उत्पन्न हुई बिजली की क्षमता अन्य विधियों से पैदा होने वाली बिजली से 20 गुना अधिक थी। चीन के वैज्ञानिकों के मुताबिक, मेडिकल एप्लीकेशंस में इसका प्रयोग खून से बिजली उत्पन्न करने में किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने मेंढक की तंत्रिकाओं पर इसकी जांच कर इसकी सफलता की पुष्टि कर दी है।

 

Related Articles

Back to top button