अब पिता भी अपने पुत्र के खाते में नहीं जमा करवा पाएंगे पैसे
नोटबंदी के समय हुई धांधली के बाद अब जाकर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। कैश डिपॉज़िट नियम को लेकर किए गए इस बदलाव के पीछे खाताधारकों की सुरक्षा ही मकसद है। एसबीआई के नए नियम के अनुसार, अब कोई भी व्यक्ति किसी भी दूसरे व्यक्ति के खाते में पैसे जमा नहीं करवा सकता है।
नोटबंदी के समय बड़े पैमाने पर जालसाज़ी के आए मामलों को देखते हुए एसबीआई ने यह फैसला लिया है। 8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी की घोषणा करते ही लोगों ने अपने पास जमा 500 और 1000 के नोटों को ठिकाने लगाने के लिए बहुत धांधली की थी।
सराफा बाज़ार में रात को ही लंबी कतार लग गई थी। भारत के 500 और 1000 रुपए के नोटों के विमुद्रीकरण का उद्देश्य लोगों के पास जमा कालाधन बाहर निकालना और जाली नोटों से छुटकारा पाना बताया गया था। उस समय लोगों ने फर्जी तरीके से दूसरों के खाते में अपने पैसे जमा करवाए थे। सालों बंद पड़े अकाउंट में भी अचानक लाखों रुपए जमा होने लगे, जिसके बाद यह जालसाज़ी सामने आई थी।
अगर किसी भी व्यक्ति का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में खाता है तो अब वह किसी अन्य व्यक्ति को भेजकर अपने खाते में पैसे नहीं जमा करवा पाएगा। पैसे जमा करवाने वाले खाताधारक को स्वयं बैंक के कैश काउंटर पर उपस्थित होना ज़रूरी है। यहां तक कि अब कोई पिता भी अपने पुत्र के खाते में पैसे नहीं जमा करवा पाएगा। एसबीआई ने इस बदलाव के पीछे बताया कि नोटबंदी के समय कई बैंक खातों में बड़ी संख्या में हजार और पांच सौ के नोट जमा किए गए थे।
बाद में जांच के समय जब लोगों से इतने सारे नोटों के बारे में पूछा जा रहा है तो उनका कहना है कि किसी अनजान शख्स ने उनके बैंक खातों में पैसे जमा करवा दिए हैं। उनके खाते में जमा की गई धनराशि से उनका कोई लेना-देना नहीं है। लिहाजा बैंक खाते को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को कदम उठाना पड़ा।