अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर शिकंजा, एजीएल मामले में दाखिल की गयी चार्जशीट
चंडीगढ़ : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर शिकंजा कस गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एजेएल को भूखंड आवंटन मामले में हुड्डा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। इसके साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया है। ईडी ने इस मामले में पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में पहला आरोप पत्र दायर किया या है। यह अदालत प्रवर्तन निदेशालय की भी विशेष अदालत है और उसके केसों की भी सुनवाई करती है। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है और चार्जशीट दायर कर चुकी है। आरोप पत्र दायर करते समय समय ईडी के डिप्टी डायरेक्टर एसके कांतिवाल अदालत में मौजूद थे। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि तय की गई है, हालांकि फिलहाल आरोपित पक्ष को कोई नोटिस नहीं जारी किया है। हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपये का प्लॉट एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में दिया था। पंचकूला स्थित यह भूखंड सेक्टर 6 में सी-17 नंबर एजेएल को आवंटित किया गया था। इसे पिछले साल ईडी ने कुर्क कर लिया था। एजेएल नेशनल हेरल्ड अखबार का प्रकाशन करता था। ईडी ने जांच में पाया है कि हुड्डा ने हरियाणा का मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपने पद का दुरुपयोग करते हुए यह भूखंड पुन: आवंटन की आड़ में नए सिरे से एजेएल को सन 1982 में तय की गई दर (91 रुपये प्रति वर्ग मीटर) से उसमें ब्याज जोड़ते हुए गैरकानूनी तरीके से आवंटित कर दिया। एजेंसी ने कहा था कि 2005 में इस पुन: आवंटन से एजेएल को अनुचित फायदा हुआ। जब इस भूखंड का पुन: आवंटन किया गया तो इसका बाजार मूल्य 64.93 करोड़ रुपये था, जबकि इसे हुड्डा को 69.39 लाख रुपये में ही दे दिया गया। हुड्डा के खिलाफ विशेष सीबीआई अदालत में पहले ही मानेसर जमीन घोटाले, एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में आरोप तय करने के लिए बहस चल रही है। सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह इन मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। ईडी से सम्बन्धित मामले भी जगदीप सिंह ही सुनेंगे।
गौरतलब है कि 24 अगस्त 1982 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड के हिंदी अखबार नवजीवन को पंचकूला सेक्टर छह में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट (नंबर सी -17) अलॉट किया था। कंपनी को इस पर छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन वह 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। इसके बाद 30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण यानि हुड्डा ने आवंटन को रद कर दिया था। इसके बाद 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। इसी दौरान 14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने हुडा के चेयरमैन को पूर्व प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की अपील की। 14 मई 2005 को हुड्डा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इन्कार कर दिया। मामले के अनुसार 28 अगस्त 2005 को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया। जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा। एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा हैै। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को भादसं की धारा 409, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था। 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्शन 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की। हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड को सन् 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया। इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चलेगा। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को प्लाट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लाट सी 17 को अटैच कर दिया।