उत्तराखंड

अब बगावत करने वालों के सहारे कांग्रेस की नैया

kishore-upadhyay_1459697885‘कांग्रेस में सब चलता है साहब। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपनी ही सरकार को घेरना हो या फिर टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत करनी हो, यहां सब जायज है। पार्टी से पूर्व में बगावत करने वाले कुछ दावेदार आज कई अहम पदों पर हैं। चुनाव से पहले एक बार फिर कई दावेदार टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।’
टिकट के दावेदारों का कहना है कि पार्टी में निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदकर खुद को साबित करना पड़ता है। जबकि दबी जुबान कुछ का कहना है कि टिकट मिले न मिले उनका चुनाव लड़ता तय है। इससे 2017 के विधान सभा चुनाव में इस बार भी पार्टी को खासी फजीहत उठानी पड़ सकती है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि पार्टी में बगावत को कम किया जा सके, इसके लिए हमने अभी से दावेदारों से आवेदन मांगने शुरू कर दिए हैं, कौन कहां से टिकट मांग रहा है, इसे देखा जा रहा है। इसके बाद ही कोई रणनीति बनाई जाएगी। 

राज्य ईको टूरिज्म सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष एसपी सिंह वर्ष 2012 में डोईवाला विस क्षेत्र से पार्टी से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। इससे कांग्रेस प्रत्याशी को खासा नुकसान हुआ। इसके बाद एसपी सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया, लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत से नजदीकी के चलते पार्टी में उनके लिए फिर से दरवाजे खोल दिए गए। एसपी सिंह बताते हैं कि उस समय हालात ही इसी तरह के थे। स्थानीय लोग चाहते थे कि स्थानीय व्यक्ति चुनाव लड़े। फिर उन्हें खुद को भी साबित करना था, उन्हें 7500 मत मिले। इस बार टिकट न मिलने पर बगावत किए जाने के बारे में पूछे जाने पर वे बताते हैं कि पार्टी उन्हें जो निर्देश देगी वे उस पर अमल करेंगे। पार्टी से बगावत कर चुनाव नहीं लड़ेंगे, 2014 में वे चुनाव मैदान में नहीं उतरे। सिस्टम में रहना जरूरी है।

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