फीचर्डराज्यराष्ट्रीय

अब बच्चों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा खतरनाक कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों को मिली ऐसी बड़ी कामयाबी

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर में बच्चों के खतरा बढ़ने की चेतावनियों के बीच एक अच्छी खबर है। मॉडर्ना का कोरोना टीका और प्रोटीन आधारित एक अन्य प्रायोगिक टीके ने शुरुआती परीक्षणों में बेहतरीन परिणाम दिखाए हैं। दोनों के ही टीके बंदर की एक प्रजाति रीसस मैकाक के बच्चों पर किए गए शुरुआती परीक्षण में सुरक्षित और सार्स-कोव-2 वायरस से लड़ने में कारगर एंटीबॉडी बनाने वाले साबित हुए हैं।

जर्नल साइंस इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित शोध के अनुसार बच्चों के लिए टीका महामारी की भयावहता को कम करने में कारगर हथियार साबित हो सकता है। अध्ययन के मुताबिक, रीसस मैकाक प्रजाति के 16 बच्चों में टीके की वजह से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रही। अमरीका स्थित न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन कॉमन स्काई चिल्ड्रन हॉस्पिटल की सेली पर्मर ने कहा कि बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके से कोविड-19 के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलेगी। संक्रमण रोकने के लिए लगाई गईं पाबंदियों से बच्चों पर कई और नकारात्मक असर पड़े। इसलिए बच्चे कोविड-19 से बचाए जाने के लिए टीके के हकदार हैं।

अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिन की प्रोफेसर क्रिस्टिना डि पेरिस के मुताबिक, मैकाक के बच्चों में भी एंटीबॉडी का स्तर व्यस्क बंदरों जैसा ही दिखाई दिया है। हालांकि व्यस्कों की 100 माइक्रोग्राम खुराक के मुकाबले बच्चों को महज 30 माइक्रोग्राम ही खुराक दी गई थी। गौरतलब है कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरे की आशंका के बीच रूस ने 8 से 12 साल तक के बच्चों के लिए अपनी कोरोना रोधी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के नैजल स्प्रे का परीक्षण शुरू कर दिया है। इससे बच्चों की नाक में दवा का स्प्रे कर उन्हें डोज दिया जाएगा। कोविड-19 रोधी वैक्सीन का नैजल स्प्रे 15 सितंबर तक तैयार हो जाएगा।

Related Articles

Back to top button