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अब बिना ड्राइवर के चलेगी ‘हवाई कार’ और आसमान में भी चलेगा इंटरनेट

‘खुशखबर’ में पहली खबर ये है कि अब जल्द ही आप बिना ड्राइवर वाली ‘हवाई कार’ में बैठकर सफर कर सकते हैं। साथ ही हवाई यात्रियों और समुद्री यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। वहीं पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा चुका भारत का इसरो अब एक नया इतिहास रचने वाला है। इसके अलावा आपको बता दें कि दुबई में रहने वाला एक भारतीय किशोर महज 13 साल की उम्र में एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी का मालिक बन गया है।

अब बिना ड्राइवर के चलेगी 'हवाई कार' और आसमान में भी चलेगा इंटरनेटसिंगापुर की तर्ज पर ब्रज में दौड़ेगी ‘हवाई कार’

एक खुशखबरी ये है कि अब जल्द ही बिना ड्राइवर वाली कार में बैठकर आप ब्रज दर्शन कर सकेंगे। सिंगापुर की तर्ज पर मथुरा में पर्सनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत चलने वाली कार की योजना का प्रस्ताव बनकर तैयार हो गया है। अल्ट्राफेयरवुड कंपनी ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के सामने पीआरटी सिस्टम का प्रेजेंटेशन किया। इसमें बताया गया कि किस तरह से कार के इस्तेमाल से न केवल यातायात की समस्याओं से मुक्ति मिलेगी, बल्कि प्रदूषण भी खत्म होगा। नौ हजार करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस प्रोजेक्ट से मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन को जोड़ा जाएगा।

अब हवा में मिलेगी इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा
हवाई यात्रियों और समुद्री यात्रा करने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। ऐसे यात्रियों को जल्द ही भारतीय सीमा में उड़ान और समुद्री यात्रा के दौरान अपने मोबाइल से बात करने और इंटरनेट इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी। सरकार ने इस नियम को 14 दिसंबर को अपनी मंजूरी दे दी। जैसे ही सरकारी गजट में ये अधिसूचित हो जाएगा उसी दिन से लोगों को ये सुविधा मिलने लगेगी।

हवाई यात्रा के दौरान अब यात्रियों को अपना मोबाइल फ्लाइट मोड में करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 3000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर जाते ही मोबाइल पर ये सुविधा उपलब्ध होगी। इतनी ऊंचाई पर ये सेवा मिलने का कारण ये है कि जमीन पर अलग-अलग ऑपरेटरों की सेवा इसमें बाधा पैदा न कर सकें।

इसरो का अनोखा प्लान, रॉकेट को दोबारा जिंदा करने की कवायद

पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा चुका भारत का इसरो अब एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिसके बारे में आज तक या तो किसी देश ने सोचा ही नहीं। दरअसल, अब इसरो अंतरिक्ष में सैटेलाइट ले जाने के बाद डेड हो जाने वाले रॉकेट्स को फिर से इस्तेमाल करने की तकनीक पर काम कर रहा है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भविष्य में अंतरिक्ष में होने वाली खोज में इससे मदद मिल सकेगी और यह खोज अभी के मुकाबले सस्ती भी होगी। इस खोज के लिए अंतरिक्ष में अलग से किसी रॉकेट को नहीं भेजना पड़ेगा। ऐसा अब तक किसी देश ने नहीं किया है।

दुबई में 13 साल का भारतीय किशोर बना सॉफ्टवेयर कंपनी का मालिक
दुबई में रहने वाला एक भारतीय किशोर महज 13 साल की उम्र में एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी का मालिक बन गया है। ‘खलीज टाइम्स’ अखबार ने एक रिपोर्ट के मुताबिक, आदित्य ने पांच साल की उम्र में ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। अब 13 साल की उम्र में उसने अपनी ‘ट्रिनेट सॉल्यूशंस’ कंपनी की शुरूआत की है।

इस कंपनी में फिलहाल तीन कर्मचारी हैं जो आदित्य के स्कूल के मित्र और छात्र हैं। आदित्यन राजेश ने अपनी पहली मोबाइल एप्लिकेशन उस समय बनाई थी, जब वह सिर्फ नौ साल का था। उसने एप्लिकेशन बनाने का काम अपनी ऊब मिटाने के लिए शौक के रूप में शुरू किया था। वह अपने ग्राहकों के लिए लोगो (प्रतीक चिह्न) और वेबसाइट भी बनाता रहा है।

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