दिल्लीराष्ट्रीय

अब भगवान भराेसे दिल्ली और WhatsApp भरोसे ‘AAP’!

arvind kejriwal-llनई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है, ये वो पार्टी है जो हमेशा से बस खुद को दिल्ली के लाेगाें की सेवा के लिए समर्पित बताती हैं। लेकिन अाज इसी दिल्ली के लाेग आम जनजीवन की चीजों से ही परेशान हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री और केजरीवाल सरकार के बड़े मंत्री ही दिल्ली से गायब हैं। केजरीवाल सरकार अाजकल दिल्ली में कम नजर अाती है और दूसरे राज्याें में ज्यादा।
दिल्लीवालाें की समस्याएं भूली सरकार
दिल्ली में सड़क, पानी और अस्पताल ये तीन अहम मुद्दे हैं। दिल्ली की सड़कों का हाल हर किसी को पता है कि कैसे 2 घंटे की बारिश से सड़काें पर पानी भरा जाता है और लोग दो-दो दिन परेशान रहते हैं। जबकि इस समय दिल्ली पर सबसे अधिक खतरा डेंगू और चिकिनगुनिया का मंडरा रहा है। एेसे में अस्पताल में खासा इंतजाम ना हाेने के कारण लाेग बेहद परेशान चल रहे हैं। लेकिन इन सबसे बेखबर दिल्ली सरकार दूसरेलराज्याें में चुनाव प्रचार में वयस्त है।
कहां हैं मुख्यमंत्री व मंत्री
दिल्ली इस समय कठिन परेशानियों से जूझ रही है, जहां दिल्ली की अहम जिम्मेदारी केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर है। वहीं, ये दाेनाें दिल्ली से गायब है। केजरीवाल 6 को रोम से लौटे 8 को पंजाब चले गए। 8 से 11 वह पंजाब में रहेंगे जबकि 13 सितंबर वह 10 दिन के लिए अपना इलाज करना के लिए बैंगलुरू चले जाएंगे। वहीं, मनीष सिसाेदिया के पास शिक्षा, वित्त समेत 10 मंत्रालय हैं। लेकिन वह आजकल 2 दिन के प्रचार के लिए गोवा में हैं।
हेल्थ मिनस्टर ही दिल्ली से गायब
दिल्ली सरकार के मंत्री सतेंद्र जैन के पास हेल्थ, ट्रांसपोर्ट समेत 7 बड़े मंत्रालय हैं। वह 6 को रोम से केजरीवाल के साथ लौटे हैं और सिसोदिया के बाद अब वह गोवा जाएंगे। ध्यान दें कि जिस समय दिल्ली में भयंकर बीमारी फैली हैं। इस समय हेल्थ मिनस्टर दिल्ली से गायब हैं। केजरीवाल जब पंजाब गए तो उनके दूसरे बड़े मंत्री गोपाल राय छत्तीसगढ़ के लिए निकल गए। दिल्ली के बड़े मंत्रियों में से अब बचे कपिल मिश्रा वह भी अन्य राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों में व्यस्त हैं।
कैसे होगा काम?
ऐसे में सवाल ये उठाता है कि आखिर अब दिल्ली में काम कैसे होगा, कैसे दिल्ली के लोगों को उनकी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। जबकिर दिल्ली सरकार का कहना है कि वह व्हाट्सअप के जरिए अपना काम कर रहे हैं। अब बात ये भी है कि दिल्ली सरकार की इस हालत के बीच एक विशेष सत्र भी है। दिल्ली के 21 विधायकों की सदस्ता पहले ही रद्द हाे चुकी है, एेसे में अगर इस सत्र में बड़े मंत्री भी नहीं हाेंगे, ताे सत्र में कौन होगा जो दिल्ली के हितों की बात करेगा। ऐसे में अब देखना होगा कि दिल्ली की जनता के बदहाली से कौन निकालेगा, कौन उनकी परेशानी सुनेगा। सवाल बहुत हैं पर दिल्ली खामोश है।

Related Articles

Back to top button