अब भारत के पास भी होगा S-400, पाकिस्तान और चीन को दे सकेंगे करारा जवाब
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चार अक्टूबर को दो दिन की यात्रा पर दिल्ली आ रहे हैं. इस दौरान रूस के साथ एस-400 मिसाइल सौदे पर अंतिम मुहर लग सकती है. भाषा के मुताबिक, दोनों देशों ने 40,000 करोड़ रुपये के सौदे को लेकर बातचीत करीब करीब पूरी कर ली है. आइए जानते हैं इस मिसाइल सिस्टम के बारे में खास बातें…
रूस भारत को हथियार और गोला बारूद देने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है. लेकिन एस-400 मिसाइल बिल्कुल अलग और अत्याधुनिक है. डील के तहत भारत रूस से पांच ‘S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ खरीदेगा. S-400 रूस की नई वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का हिस्सा है, जो 2007 में रूसी सेना में तैनात की गई थी.
भारत और रूस के बीच S-400 एयर डिफेंस मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए 39 हजार करोड़ रुपए का का करार होगा. S-400 के पास अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को गिराने की भी कैपिसिटी है. चीन ने भी रूस से ही यह डिफेंस सिस्टम खरीदा था. फिलहाल चीन की आर्मी इसका इस्तेमाल करती है.
S-400 ट्रायंफ लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम में दुश्मन के आने वाले लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि 400 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को नष्ट कर सकता है. भारत की सैन्य प्रणाली में एस-400 के शामिल होने से उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.
भारत और रूस के बीच इस अहम रक्षा सौदे का ऐलान साल 2016 में गोवा में आयोजित BRICS समिट के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत के बाद हुआ था. S-400 पाकिस्तान या चीन की न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों से भी भारत का रक्षा करेगा. यह एक तरह का मिसाइल शील्ड है.