अब भी गुफाओं में रहते हैं पाकिस्तानी
दुनिया चाहे जितना आगे बढ़ जाए, विज्ञान चाहे जितनी तरक्की कर ले लेकिन कुछ लोगों को पुरानी लाइफ स्टाइल में ही सुकून मिलता है। पुरानी चीजों में सुकून ढूढ़ने वाले ऐसे लोगों में कुछ पाकिस्तान में हैं।
पेशावर के निकट तोरखम मेन हाईवे के पास शगाई किला के आसपास वाले इलाके में 3000 से 4500 ऐसे लोगों के बारे में जानकारी मिली है जो गुफाओं में रहते हैं।
गुफा खोदने में मशगूल 68 वर्षीय हाजी हनीफ अफ्रीदी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि वह छह कमरों वाली गुफा खोदकर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि यह गुफा उन्हें और उनके परिवार को भीषण गर्मी से बचाएगी।
बताया जा रहा है कि शगाई क्षेत्र के कट्टा कुश्ता और अली मस्जिद इलाके काफी समय पहले से ही गुफाओं में ही रह रहे हैं। अफ्रीदी ने बताया घरों या मैदानों पर बने घरों से ज्यादा गुफाओं में जिंदगी ज्यादा आराम दायक है। उन्होंने कहा कि ये गुफाएं प्राकृतिक कूलर का काम करती हैं वहीं सर्दी में इनसे गर्मी भी मिलती है।
अफ्रीदी के अनुसार, गुफाओं में रहना एक पुराना तरीका है लेकिन कुछ लोग इसलिए भी गुफाओं में रहना पसंद करते हैं क्योंकि उनके पास पक्के मकान बनाने के लिए पैसे नहीं होते। पहले लोग प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे लेकिन अब जनसंख्या ज्यादा होने और जगह की कमी होने के कारण लोग अपनी आवश्यकतानुसार गुफा खोदते लेते हैं।
हालांकि अब लोग नए जमाने की गुफाएं बनाने लगे हैं जिनमें बिजली पानी की सभी सुविधाएं मौजूद होती हैं।
पाकिस्तान में गुफाओं में रहने वाले कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरे साल कस्बों में बने पक्के मकानों में रहते हैं और गर्मी आते ही इन गुफाओं में रहने आ जाते हैं।