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अब मदरसों में अनिवार्य होगा राष्ट्रगान : हाईकोर्ट

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है। इसलिए राष्ट्रगान करना और राष्ट्रध्वज फहराना सभी शिक्षण संस्थाओं व अन्य संस्थानों में अनिवार्य है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले व न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने मऊ के अलाउल मुस्तफा की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका में तीन अगस्त, 2017 के शासनादेश और छह सितंबर, 2017 के सर्कुलर को चुनौती देते हुए उसे रद करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के मदरसों में राष्ट्रगान करना अनिवार्य कर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को राष्ट्रगान के लिए विवश न किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि छात्रों को इस तरह के गीत गाने के लिए विवश नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह उनकी धार्मिक आस्था और विश्वास के विरुद्ध है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची ऐसा कोई तथ्य बताने में असफल रहा कि राष्ट्रगान गाने से उनकी धार्मिक आस्था और विश्वास किस तरह से प्रभावित होगा।
याची यह साक्ष्य भी नहीं प्रस्तुत कर सका कि मदरसे में पढऩे वाले छात्रों को इस पर क्या आपत्ति है।हाईकोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51 ए के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करे, क्योंकि राष्ट्रगान में देश का इतिहास, दूसरी प्रथाओं व संस्कृति को बढ़ावा देने और आपसी भाईचारा को बढ़ावा देने के तथ्य हैं। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रगान राष्ट्रीय अखंडता, पंथ निरपेक्षता और लोकतांत्रिक भावना को प्रखर करता है। राष्ट्रध्वज केवल कपड़ा और स्याही का टुकड़ा मात्र नहीं है, बल्कि यह स्वाधीनता के लक्ष्य को हासिल करने का जरिया है।

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