राजस्थान की टेक्स्ट बुक में से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र हटाए जाने का मामला ज्यादा पुराना नहीं है. अब मुंबई यूनिवर्सिटी के एमए (कॉरेस्पोंडेंट) में पढ़ाई जाने वाली राजनीति विज्ञान की किताब पर भी विवाद छिड़ गया है.
इस किताब से भी नेहरू के गायब होने की खबर है. इतना ही नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक को इस किताब में ‘एंटी सेक्युलर’ बताया गया है.
‘मिड डे’ में छपी खबर के अनुसार मुंबई यूनिवर्सिटी के डिस्टेंस एंड ओपन लर्निंग में पॉलिटिकल साइंस कोर्स की किताब ‘मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट’ में यूं तो कई महत्वपूर्ण भारतीय नेताओं का जिक्र है. लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बारे में कहीं भी कुछ नहीं लिखा है. इस किताब में तो गांधी और तिलक को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें ‘एंटी सेक्युलर’ बताया गया है.
‘हिंदू प्रतीक चिन्हों के इस्तेमाल से चिढ़े जिन्ना’
डिस्टेंट एजुकेशन के कोर्स के लिए बनी इस किताब में लिखा गया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांधी राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़े और हिन्दू प्रतीक चिह्नों और उदाहरणों ने जिन्ना को इतना चिढ़ा दिया कि उन्होंने कांग्रेस ही नहीं, भारत ही छोड़ दिया और पाकिस्तान स्थापित किया गया. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर पाठ्यपुस्तक में लिखा गया है कि ‘गणेशात्सव शु्रू करके और भगवत गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को बढ़ावा देने की उनकी कार्रवाई और उनका रवैया साफ तौर पर साम्प्रदायिक था.’
वामपंथी दलों की तारीफ
वामपंथी दलों के बारे में इसी किताब में कहा गया है कि ‘वामपंथी दलों को छोड़कर सभी राजनीतिक दल, जब उन्हें फायदेमंद लगता है साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं.’ साथ ही कहा गया है कि ‘केवल वामपंथी कम्युनिस्ट दल ही वास्तव में सेक्युलर रहे हैं’