अब विदेश में भी महकेगी जम्मू की बासमती
जो विदेश में निर्यात होने वाले साइज से भी बढ़ी है। इससे साफ है कि बासमती अब अपने कम साइज की वजह से नहीं रुकेगी। बासमती के अलावा यूनिवर्सिटी ने साधारण चावल की एक अन्य किस्म सहित गेहूं की दो और सरसों की एक किस्म सहित कुल पांच किस्में विकसित की हैं।
कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च विभाग के निदेशक जगपाल शर्मा ने बताया कि बासमती की एसजेआर 129 किस्म विकसित की है। इस किस्म पर कोई बीमारी नहीं लगेगी। इसका साइज 7.3 एमएम है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 44 क्विंटल होगी। मौजूदा बासमती का साइज 6.8 है।
यह किस्म टेस्टिंग में पास हो चुकी है। नए साल में रिलीज कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद यह मार्केट में होगी। इसके अलावा साधारण चावल की एसजेआर 5 नंबर की किस्म भी विकसित की गई है।
इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल होगी। वहीं कंडी क्षेत्रों के लिए 584 नंबर गेहूं और सिंचाई क्षेत्रों में 598 नंबर की गेहूं विकसित की गई है।
यह किस्में यलोरस्ट रहित होंगी। इन पर येलोरस्ट का कोई खतरा नहीं होगा। पहली किस्म प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल और दूसरी 42 क्विंटल पैदावार देगी। सरसों की एक किस्म विकसित की गई है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल होगी।