अब CRPF के जवान ने सुविधाओं को लेकर उठाए सवाल
नई दिल्ली: बीएसएफ जवान तेज बहादुर ने खाने की शिकायत की थी. लेकिन इन दिनों सीआरपीएफ के एक जवान का वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सीआरपीएफ जवान ने सेना और सीआरपीएफ को मिल रही सुविधाओं को लेकर सवाल उठाए हैं. सुविधाओं पर सवाल उठाने वाले सीआरपीएफ के जवान का नाम जीत सिंह है. जीत सिंह कह रहे हैं, ‘’दोस्तों, मैं कांस्टेबल जीत सिंह. सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स का जवान हूं. मैं आप लोगों के जरिये हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी तक एक संदेश पहुंचाना चाहता हूं.’’ सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ के जवान जीत सिंह ने दो मिनट इक्यावन सेकेंड के वीडियो के जरिए सेना और पैरामिलिट्री फोर्स में भेदभाव को लेकर सवाल उठाए हैं.
जीत की पहला सवाल
‘’दोस्तों आर्मी को पेंशन भी है. हमलोगों की पेंशन थी वो भी बंद हो गई. 20 साल बाद हम नौकरी छोड़कर जाएंगे तो क्या करेंगे?’’ 2004 तक सीआरपीएफ में भी पेंशन की सुविधा थी, लेकिन 2004 के बाद भर्ती हुए जवानों और अफसरों को पेंशन नहीं मिलती है. सीआरपीएफ के जवानों के लिए कॉन्ट्रीब्यूटरी पेंशन की सुविधा है, जिसमें अपनी सैलरी का हिस्सा ही देना पड़ता है. रिटायर होने पर साठ फीसदी रकम मिल जाती है, जबकि बाकी 40 फीसदी रकम म्यूचुअल फंड में लगाया जाता है. जिसकी पेंशन मिलती है. वहीं, सेना में पेंशन के अलावा अब वन रैंक वन पेंशन की सुविधा भी मिलने लगी है. अब अर्धसैनिक बलों ने भी वन रैंक वन पेंशन की मांग उठाई है.
जीत का दूसरा, तीसरा और चौथा सवाल
एक्स सर्विसमैन कोटा क्या है ? सेना से रिटायर जवानों को दोबारा काम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तमाम रियायतें मुहैया कराती हैं. कुछ पदों में आरक्षण, उम्र और डिग्री में छूट के अलावा पूर्व सैनिकों की निजी सुरक्षा एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन भी सरकार कराती है. बिजनेस करने वाले पूर्व सैनिकों के लिए आर्थिक मदद भी दी जाती है.
कैंटीन सुविधा किसे मिलती है ? सेना में कैंटीन का अलग डिपार्टमेंट है सीएसडी. इसमें सामान काफी सस्ता मिलता है. अर्धसैनिक बलों के भी कैंटीन होते हैं जिनकी संख्या कम है.
सेना के अस्पतालों में इलाज की ज्यादा सुविधाएं हैं, जो मुफ्त मिलती हैं. इसी तरह पैरामिलिट्री में भी मेडिकल विंग होता है और रीजनल-जोनल सेंटर में अस्पताल होते हैं. इसके अलावा सीजीएचएस यानी सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ सर्विस के कार्ड होल्डर को सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में रियायती दरों पर इलाज की सुविधा मिलती है. हालांकि सेना के जवानों जितनी सुविधा अर्धसैनिक बलों को नहीं मिलती.