अभी-अभी: कुलभूषण जाधव मामले में पाक को लगा बड़ा झटका
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कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका देते हुए सुनवाई स्थगित करने की उसकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने मंगलवार को अपना पक्ष रखते हुए उसके तदर्थ जज तस्सदुक हुसैन जिलानी की गैर मौजूदगी में सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी। हुसैन को सोमवार को दिल का दौरा पड़ा था।
पाकिस्तान का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने सुनवाई की शुरुआत में कहा, ‘हमने अपने अधिकारों को लागू किया है जो हमें एक तदर्थ जज नियुक्त करने का हक देता है। चूंकि इस समय हमारे जज का होना बेहद जरूरी है।
हम कोर्ट से कहना चाहते हैं कि एक अन्य जज को शपथ लेनी चाहिए जिसकी व्यवस्था अनुच्छेद 35-5 में दी गई है और जजों को दलीलों पर आगे बढऩे से पहले जानकारी का अवलोकन करने का भरपूर वक्त दिया जाए।
लेकिन आईसीजे ने मंसूर के इस तर्क को खारिज करते हुए तदर्थ जज की अनुपस्थिति में ही दलीलें जारी रखने का निर्देश दिया। आईसीजे के एक जज ने कहा कि तदर्थ जज नियुक्त करने की पाकिस्तान की मांग पर कोर्ट ने विचार किया है और सही समय आने पर इसका जवाब दिया जाएगा।
पाक को नीचा दिखाने के लिए याचिका
मंसूर खान ने कहा, ‘आईसीजे में भारत याचिका इसका उदाहरण है कि भारत पाकिस्तान को नीचा दिखाने के लिए पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करता है। मैं खुद भी भारत की क्रूरता शिकार हुआ हूं। युवा सैन्य अफसर के तौर पर मैं भारत में युद्ध बंदी के तौर पर रह चुका हूं। भारत ने हमेशा जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन किया है। 2014 में पेशावर स्कूल में हुए हमले में 140 बच्चों को खो दिया। इस हमले को भारत ने अफगानिस्तान के जरिये अंजाम दिया था।
कारोबारी नहीं, ‘जासूस’ था जाधव
भारत की दलीलों के जवाब में पाकिस्तान ने कहा कि भारतीय नौसेना का अधिकारी कारोबारी नहीं, बल्कि जासूस था। पाक के वकील खावर कुरैशी ने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए खेद है कि भारत ने कार्यवाही के दौरान विश्वास की कमी दिखाई।
मजबूत विश्वास अंतरराष्ट्रीय कानून का हिस्सा है। भारत ने इस मामले को राजनीतिक मंच के तौर पर इस्तेमाल किया है। जाधव भारत की आतंक की आधिकारिक नीति का एक मोहरा था। जाधव बहुत से स्थानीय लोगों के संपर्क में था। उसने कई को राज्य विरोधी ताकतों को आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार किया था ताकि पाकिस्तान में आतंक फैलाया जा सके।
कल फिर पक्ष रखेगा भारत
भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और दीपक मित्तल बुधवार को फिर से आईसीजे में पक्ष रखेंगे। चार दिन चलने वाली सुनवाई के पहले दिन सोमवार को साल्वे ने आईसीजे से कुलभूषण जाधव की मौत की सजा को रद्द करने और तत्काल रिहाई का अनुरोध किया था। भारत ने कहा कि सैन्य अदालत का फैसला ‘हास्यास्पद मामलेÓ पर आधारित है, जो वाजिब प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं करता है।
सुनाई थी मौत की सजा
बता दें पाकिस्तानी सेना की अदालत ने अप्रैल 2017 में जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर भारतीय नागरिक जाधव (48) को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने इसके खिलाफ उसी साल मई में आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था।आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 में पाकिस्तान को मामले में न्यायिक निर्णय आने तक जाधव को सजा देने से रोक दिया था।
भारत 20 फरवरी को पाकिस्तान की दलील पर जवाब देगा जबकि इस्लामाबाद 21 फरवरी को अपनी आखिरी दलीलें पेश करेगा। ऐसी उम्मीद है कि आईसीजे का फैसला 2019 की गर्मियों में आ सकता है।
वहीं भारत कथित भारतीय जासूस की मौत की सजा को रद्द करने का पाकिस्तान को आदेश देने का अनुरोध कर रहा है। इससे, जम्मू कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों पर हुए घातक हमले के बाद दोनों देशों के बीच फिर से तनाव बढ़ सकता है।
2016 में हुए थे गिरफ्तार
कुलभूषण सुधीर जाधव को मार्च 2016 में पाकिस्तन के अशांत प्रांत बलूचिस्तान से जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें एक सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2017 में जाधव की मौत की सजा की तालीम पर तत्काल रोक का आदेश दिया था। तब से इस अहम भारतीय मामले की सुनवाई लंबित है।
जम्मू कश्मीर में बृहस्पतिवार को एक फिदायीन हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत में दो परमाणु हथियारों से लैस प्रतिद्वंद्वियों के बीच यह टकराव का एक और मसला हो सकता है। इस हमले में 40 सुरक्षा कर्मियों की जान गई है। भारत ने कहा है कि अगर पाकिस्तान जाधव की मौत की सजा रद्द नहीं करता है तो इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं संधियों का उल्लंघन करने वाला करार देना चाहिए और भारतीय नागरिक को तुरंत रिहा करने का आदेश देना चाहिए।