दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले पर बातचीत में केजरीवाल इस मांग को लेकर 1 मार्च से अनिश्चितकालीन उपवास पर जा रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 70 सालों से दिल्ली के लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है. 1949 में पूरे देश में जनतंत्र आया, लेकिन दिल्ली के साथ ऐसा नहीं है. यहां के लोग अपनी सरकार तो चुनते हैं, लेकिन सरकार के पास ताकत ही नहीं है.
शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना या साहिब सिंह वर्मा के पास भी पूरी ताकत नहीं थी. मदनलाल खुराना ने विधानसभा में कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की ताकत एक चपरासी के बराबर भी नहीं है. यह बयान दर्ज है. उन्होंने भी पूर्ण राज्य के लिए आवाज उठाई थी. अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का कानून लेकर आए थे, लेकिन संसद का कार्यकाल पूरा हो गया तो कानून भी खत्म हो गया था. शीला दीक्षित भी 15 साल तक इसके लिए आवाज उठाती रहीं.
शीला जी के पास ज्यादा ताकत थी. वह दिल्ली के किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर कर सकती थीं. वह तय कर सकती थीं कि दिल्ली का एजुकेशन, हेल्थ और चीफ सेक्रेटरी कौन बनेगा. हमारी सरकार बनने के 3 महीने बाद मोदी सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी करके हमसे सारी ताकत छीन ली. अब ये काम केंद्र सरकार तय करती है. अब मनीष सिसोदिया अच्छा काम करते हैं तो केंद्र सरकार एजुकेशन सेक्रेटरी को बदलकर सबसे भ्रष्ट आदमी को वहां बैठा देती है.
इन सबके बावजूद हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी फैसले किए, जो 70 साल में किसी भी सरकार ने नहीं लिए. किसी राज्य में 15 साल की सरकार में भी इतने काम नहीं हुए, जितने हमने चार साल में काम किए. हमारे पास जितनी ताकत थी, हमने उससे ही काम किया.
जिस दिन दिल्ली पूर्ण राज्य मिला, दिल्ली के हर परिवार को दस साल में एक-एक घर दे देंगे. दिल्ली को बिल्डर माफिया से मुक्त कर दिया जाए तो सबको घर मिल सकता है. दिल्ली में सालों से यूनिवर्सिटी नहीं बनी. हमने मोदी सरकार से कहा था कि हमें कॉलेज खोलने हैं, यूनिवर्सिटी बनाने की इजाजत दी जाए. तीन साल में कोई फैसला नहीं हुआ. आज दिल्ली में 95 फीसदी नंबर लाने वाले बच्चों के मां-बाप परेशान हो जाते हैं, क्योंकि यहां पढ़ने के लिए कॉलेज ही नहीं हैं.
हम दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाना चाहते थे, तीन साल तक मोदी सरकार फाइल लेकर बैठ गई थी. मैं लड़कर फाइल साइन करवाकर लाया. अगले हफ्ते से दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगने वाले हैं. मनीष सिसोदिया को फाइल साइन कराने के लिए एलजी के घर पर धरना देना पड़ा. वह अपने बच्चे का एडमिशन करवाने या नौकरी के लिए वहां नहीं गया था.
देश की मजबूरी है बीजेपी को हराना जरूरी है. हम कुछ भी सत्ता के लिए नहीं कर रहे हैं. हमारा बस एक ही लक्ष्य है कि अमित शाह और मोदी का हराना. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन नहीं हो रहा है ऐसा मुझे लगता है. अगर हम दोनों साथ आते तो बीजेपी वाइप आउट हो जाती लेकिन अभी हम कड़ी टक्कर देंगे. आज देश के लिए अगर आम आदमी पार्टी बंद करनी पड़े तो मैं बंद कर दूंगा. मैं शुगर का पेशेंट हूं फिर भी उपवास पर बैठ रहा हूं यानी जान दांव पर लगा रहा हूं. अमित शाह और मोदी को हराने के लिए कोई भी प्रधानमंत्री बन जाए यह महत्वपूर्ण नहीं है. इन्होंने पांच साल में देश का बेड़ा गर्क कर दिया है.
आज दिल्ली में दो लाख नौकरी निकल सकती है, लेकिन यह मेरे हाथ में नहीं है. मोदी सरकार के हाथ में है. अगर दिल्ली पूर्ण राज्य बन जाए तो मैं दो लाख लोगों को तुरंत सरकारी नौकरी दे सकता हूं.
मेरा उपवास दिल्ली के लोगों को पूर्ण राज्य के आंदोलन के लिए संगठित करने के लिए है. मेरा आंदोलन किसी सरकार से कोई मांग करने के लिए नहीं है. संसद खत्म हो रही है. कोई सरकार ही नहीं बची है तो हमारी किसी से कोई मांग नहीं है. एक मार्च से आंदोलन शुरू हो रहा है. यह आगे तरह-तरह से जारी रहेगा. यह आंदोलन दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने तक जारी रहेगा.
इस समय केंद्र में हालात ऐसे हैं कि अगर हमारे सात सांसद बन गए तो हमारे पास बहुत ताकत होगी. मेरा दिल ये कहता है कि सात सांसद आने से दो साल के अंदर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा.
बीजेपी और कांग्रेस ने कई सालों से दिल्लीवालों को धोखा दिया है. यह देखकर मुझे बड़ा दुख होता है. साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा और मदनलाल खुराना के बेटे हरीश खुराना पूर्ण राज्य का विरोध कर रहे हैं. इन दोनों के पिता ने पूर्ण राज्य के लिए लड़ाई लड़ी थी. शीला दीक्षित 15 सालों तक पूर्ण राज्य के लिए लड़ती रहीं और अब वह इसका विरोध कर रही हैं.
देखते हैं कि उपवास के बाद क्या होते हैं. लोग जमा होंगे, सिग्नेचर होंगे, मार्च होंगे, देखते हैं कि उपवास कहां पर खत्म होगा. भाजपा ने कहा था कि सात सांसद दे दो, पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे. उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया. अब हम कह रहे हैं कि हमें सात सांसद दे दो, हम पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे.
देश के लोग देख चुके हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी देश के लिए कितनी खतरनाक है. इन्होंने देश का बेड़ा गर्क कर दिया. इन्होंने नोटबंदी की, जीएसटी की, सीलिंग की. अच्छी-खासी अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लगा दिए. डेढ़ करोड़ लोग बेरोजगार हो गए. सबसे गलत काम ये किया कि देश का भाईचारा खत्म कर दिया. हिंदुओं को मुसलमानों से लड़ा दिया. जाटों को नॉन जाट से, मराठा को नॉन मराठा से, पटेल को नॉन पटेल से लड़ा दिया. लोगों के मन में जहर भरने का काम किया है.
पाकिस्तान पिछले 70 साल से कोशिश कर रहा है कि कैसे भारत को कमजोर किया जाए. कैसे भारत के लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जाए, जो काम करने में पाकिस्तान 70 साल में सफल नहीं हुआ, वह काम पांच साल में मोदी और अमित शाह ने कर दिया.
2019 में अगर मोदी-शाह जीत गए तो ये देश का संविधान बदलकर चुनाव कराना खत्म कर देंगे, जैसा कि हिटलर ने किया था. अभी अमित शाह ने अपनी एक रैली में कहा था कि अगर वे 2019 में जीत गए तो 2050 तक बीजेपी को कोई नहीं हरा सकता. इस समय जनतंत्र और देश को बचाना जरूरी है.
इस समय देश में यह जरूरी है कि भाजपा के खिलाफ केवल एक उम्मीदवार खड़ा हो ताकि वोट बंटे नहीं. पिछली बार बीजेपी 31 फीसदी वोट से जीती थी, यानी 69 फीसदी लोग उसके खिलाफ थे. ये आंकड़ा तब का है जब मोदी लहर चल रही थी.