राष्ट्रीय

अभी-अभी: देश में पहली दफा मां-बाप की सेवा न करने वालो की अब नहीं होगी खैर

देश में पहली दफा किसी सरकार ने बुजुर्गों को बुड़ापे में दरदर की ठोकर खाने से बचाने के लिए कानून बनाया है। असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने एतिहासिक फैसला लेते हुए ये कानून बनाया है, जिसके तहत अगर कोई सराकारी कर्मचारी बुजुर्ग मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से बचता है तो उसकी सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा ने शुक्रवार को इस ऐतिहासिक बिल को पास किया।अभी-अभी: देश में पहली दफा मां-बाप की सेवा न करने वालो की अब नहीं होगी खैर

असम एम्पलॉयीज प्रणाम बिल पर विधानसभा में चर्चा के दौरान राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार को यह मंजूर नहीं कि कोई भी शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप को ओल्ड एज होम में छोड़कर जाए।

उन्होंने दावा किया कि इस तरह का कानून बनाने वाला असम देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि आगे चलकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को भी इस कानून के दायरे में लाया जाएगा।

अब राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो गया जाएगा। असम एम्पलॉयीज पैरंट्स रेस्पॉन्सिबिलिटी ऐंड नॉर्म्स फॉर अकाउंटैबिलिटी ऐंड मॉनिटरिंग बिल-2017 नाम के इस कानून को असम एम्पलॉयीज प्रणाम बिल के नाम से जाना जाता है।

इस नए कानून के मुताबिक अगर राज्य सरकार का कोई कर्मचारी अपने मां-बाप की जिम्मेदारी उठाने से भागता है तो सरकार उसकी सैलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा काट लेगी। साथ ही उस राशि को उसके मां-बाप के खाते में ट्रांसफर कर देगी।

ये भी पढ़े: कलेक्टर के एक साइन के लिए पिता ने की ठेरों मसक्कत, आज बेटी खुद बन गई कलेक्टर

इसके अलावा अगर किसी कर्मचारी का कोई भाई या बहन दिव्यांग है तो उसकी सैलरी से 5 प्रतिशत और अलग से कटेगा।

Related Articles

Back to top button