11 पुलिस कर्मियों की रिहाई की खबर से पुलिस महकमे में राहत है। बता दें कि निचली अदालत ने 18 पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई थी। छह जून 2014 को 18 पुलिस कर्मियों को दोषी करार देते हुए 9 जून को उम्र कैद सजा सुनाई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेन्द्र राठी, संजय रावत, दारोगा इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई और मनोज कुमार को बरी कर दिया है।
वहीं डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंसपेक्टर डालनवाला एस के जायसवाल, आरा चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबिल अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश विष्ट, उप निरीक्षक नीरज यादव और चंद्रमोहन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है।
यह थी पुलिस की मुठभेड कहानी
शरीर पर आई ब्लेकनिंग से इसका खुलासा हुआ था। यह नहीं है कि रणवीर के शरीर पर 28 चोटे चिहिंत की गई थी। जाहिर है कि यह चोटे मुठभेड में तो नहीं लगी होगी। पीएम रिपोर्ट से परिजनों द्वारा यातनाएं देकर फर्जी मुठभेड में मार गिराने के आरोपों को बल मिला है।
बुरी तरह पिटाई करने के बाद रणवीर को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया गया था। इसके बाद ही छह जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ पिता रविन्द्र सिंह की तरफ से पुलिस के खिलाफ रणवीर की हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि यह साफ नहीं है कि अभियोजन की कहानी में कोर्ट में क्या तर्क दिए गए हैं।
यह रहा मुठभेड का घटनाक्रम
3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या
4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया
5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट आई, 25 चोटे, 22 गोली घंसी
5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश
6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा
7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने शुरू की जांच
8 जुलाई को नेहरु कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया
8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश
31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर शुरू की जांच
4 जून को दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला सुरक्षित
6 जून को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया