मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया- क्यों और कैसे हुई खरीदा राफेल डील
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार 36 राफेल विमानों की खरीद के संबंध में किये गए फैसले के ब्योरे वाले दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए हैं। दस्तावेजों में कहा गया है कि राफेल विमानों की खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
दस्तावेजों में कहा गया है कि विमान के लिए रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी ली गई थी। भारतीय दल ने फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत भी की। दस्तावेजों में कहा गया है कि सौदा नियमों के मुताबिक हुआ। जिसके लिए 74 बैठकें हुई थीं। दस्तावेजों में कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष के साथ बातचीत तकरीबन एक साल तक चली और समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले मंत्रीमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी ली गई।
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने राफेल सौदे की निर्णय प्रक्रिया का पूरा विवरण प्रस्तुत किया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने केंद्र से निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी थी। बता दें राफेल सौदे में लड़ाकू विमान की कीमतों को लेकर विपक्षी पार्टियां शुरू से ही केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही हैं।
मामले की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच कर रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल विमानों की उपयुक्तता पर कोई राय नहीं देना चाहते और न ही कोई नोटिस जारी कर रहे हैं। कोर्ट केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता जानना चाहता है।
इस सौदे का विरोध कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति राफेल की दर से विमान खरीद रही है जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान इसकी कीमत 526 करोड़ रुपये तय हुई थी।