अमरीकी जासूसों ने चुरा लिया था रूसी स्पेसक्राफ़्ट
वाशिंगटन (एजेंसी) : साठ साल पहले सीआईए के कुछ ख़ास जासूस एक बेहद ख़ुफिया मिशन को अंजाम देने में लगे थे, ये मिशन था रूसी अंतरिक्ष यान लूना के पुर्जे-पुर्जे खोलकर उनकी तस्वीरें लेना और फिर उसे पहले की तरह वापस लगा देना जिससे रूसी अधिकारियों को इसकी ख़बर भी न लगे, क्योंकि अगर दुनिया को इस बारे में पता चल जाता तो सोवियत संघ के साथ स्पेस रेस में लगी हुई पश्चिमी दुनिया को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ती। ऐसे में ये मिशन अहम था और इससे ज़्यादा खास बात थी कि ये मिशन ख़ुफिया रहे और इस काम के लिए सीआईए के जासूसों को सिर्फ आठ घंटों का समय मिला था। इस मिशन को चार चरणों में बांटकर अंज़ाम दिया गया।
1959 में लूना-2 चांद की सतह पर पहुंचने वाला पहला मानव निर्मित अंतरिक्ष यान बना।इसके ठीक एक महीने बाद, पहले लूना-3 नाम के अंतरिक्ष यान ने पहली बार चांद के छुपे हुए हिस्से की तस्वीर खींचकर इतिहास रच दिया। इसी वजह से सोवियत संघ ने 1959 से 1960 के बीच दुनिया में अपनी औद्योगिक और आर्थिक प्रगति दिखाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दौरा शुरू किया। इस दौरे में सोवियत संघ ने अपने अंतरिक्ष यान लूना को भी साथ ले लिया
सीआईए के एक दस्तावेज़ के मुताबिक़, अमरीकी विश्लेषकों को शक था कि कहीं सोवियत संघ अपने दौरे में असली अंतरिक्ष यान लूना को लेकर तो नहीं गया है, ऐसे में ये जानने के लिए एक ऑपरेशन की योजना बनाई गई। इसके बाद अमरीकी जासूस एक दिन उस जगह पहुंच गए जहां सोवियत संघ का प्रचार-प्रसार कार्यक्रम चल रहा था, अमरीकी जासूसों ने अपनी पड़ताल में पता लगाया कि ये कोई नकल नहीं बल्कि असली अंतरिक्ष यान लूना है जिसमें से इंजन और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट निकाल दिया गया है। हालांकि, इस अंतरिक्ष यान के बारे में गहरी जानकारी के लिए उन्हें इसे प्रदर्शनी हॉल के बाहर निकालकर देखना था जहां सोवियत संघ के गार्ड्स का भारी पहरा हुआ करता था, इसके बाद सीआईए ने एक जासूसी फ़िल्म की कहानी जैसी योजना बनाई। ये योजना बनाई गई कि सीआईए के एजेंट्स अंतरिक्ष यान लूना के एक शहर से दूसरे शहर में होने वाले ट्रांसफर पर नज़र रखेंगे। सीआईए एजेंट्स ने ये सुनिश्चित किया कि इस ऑपरेशन के दिन अंतरिक्ष यान आखिरी ट्रक में ट्रैवल करेगा। इसके बाद स्थानीय लोगों की तरह कपड़े पहने हुए अमरीकी एजेंटों ने आख़िरी स्टॉप पर ट्रक को रोक लिया। इसके बाद ट्रक के ड्राइवर को होटल भेज दिया गया जहां उसने रात बिताई, इसके बाद ट्रक को तुरंत एक स्क्रैप यार्ड ले जाया गया जिसे फौरी तौर पर किराए पर लिया गया था। लगभग तीस मिनट तक सीआईए एजेंटों ने इस बात की पुष्टि करने की कोशिश की कि कहीं सोवियत संघ को किसी तरह की गड़बड़ होने की भनक तो नहीं लगी है।इसके बाद लगभग साढ़े सात बजे सीआईए से वो जासूस पहुंचे जिन पर वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने की ज़िम्मेदारी थी। इन जासूसों को पता था कि अंतरिक्ष यान लूना को लेकर जाने वाला कंटेनर अंदर से बंद था। इसमें बिना किसी को भनक लगे सिर्फ़ छत के रास्ते घुसा जा सकता था। ऐसे में उन्हें रस्सी के सहारे अंदर जाना पड़ा, इसके साथ ही उन्हें अपना काम बांटना पड़ा। दो एजेंट्स को इंजन वाले हिस्से में गए, वहीं, दो एजेंट्स उस हिस्से में पहुंचे जहां दो इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट गायब थे। सीआईए के दस्तावेजों के मुताबिक़, उन्होंने ये सील तोड़ी और सीआईए के दफ़्तर में बनी हुई सील लगाई। इस कंटेनर में फ्लैशलाइट्स से रोशनी पैदा करके सीआईए एजेंट्स ने लूना के मुख्य हिस्सों को निकालकर उनकी तस्वीरें लीं और वापस उन्हें पहले जैसा लगा दिया। इसके बाद सोवियत गार्ड्स के आने से पहले कारगो को रेलवे यार्ड तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ट्रक के असली ड्राइवर पर थी। सीआईए के मुताबिक़, आजतक एक भी संकेत ऐसा नहीं मिला है कि सोवियत संघ के अधिकारियों को इसकी भनक थी कि उनके अंतरिक्ष यान को एक रात के लिए अगवा कर लिया गया था।
और इसी की सहायता से अमरीका 20 अप्रैल 1969 को अपने अंतरिक्ष यान अपोलो 11 से नील आर्मस्ट्रॉन्ग को चांद पर पहुंचाने में सफल रहा था।