अमेरिका ने ईरानी नागरिकों, संस्था पर लगाया प्रतिबंध; साइबर चोरी का आरोप
अमेरिका ने शुक्रवार (23 मार्च) को ईरान के 10 लोगों और एक ईरानी संगठन पर पाबंदी लगा दी. ये सभी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) से संबद्ध हैं. इन पर सैंकड़ों विश्वविद्यालयों, निजी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं के डेटा चोरी का आरोप है. अमेरिकी सरकार के राजस्व एवं न्याय विभाग ने साइबर हमले के संदिग्धों पर जुर्माना भी लगाया है. इन पर विश्वविद्यालयों, अमेरिकी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और निजी कंपनियों का 31.5 टेराबाइट डेटा चुराने का आरोप है.
एफे की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के तहत सभी संदिग्धों की अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है और किसी भी अमेरिकी नागरिक के साथ किसी भी तरह के कारोबार पर पाबंदी लगा दी गई है.
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और अमेरिका 2015 ईरानी परमाणु समझौता या संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) पर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में वार्ता कर सकते हैं. समाचार पत्र तेहरान टाइम्स के मुताबिक, ईरानी वार्ताकारों के एक करीबी सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि ईरानी राजनयिकों की एक टीम ईरान के परमाणु समझौते के कार्यान्वयन के संबंध में नियमित वार्ता के लिए वियना दौरे पर हैं. यह टीम अमेरिकी अधिकारियों सहित वार्ता में भाग ले रहे अन्य पक्षों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी.
दोनों पक्ष ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने और अमेरिका द्वारा समझौते के उल्लंघन के संबंध में दिए उदाहरण पर वार्ता करेंगे. ईरान और अन्य देशों ने, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, चीन और रूस शामिल हैं, के प्रतिनिधियों ने हालिया जेसीपीओए दौर का वार्ता वियना में बीते 17 मार्च को आयोजित किया. जेसीपीओए के अंतर्गत ईरान को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हटवाने के लिए अपने परमाणु कार्यक्रम को जरूर सीमित करना होगा.
ईरान की सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार (3 मार्च) को कहा था कि ईरान तब तक अपने मिसाइल कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा, जब तक यूरोप और अमेरिका अपने परमाणु हथियारों और मिसाइलों को नष्ट नहीं कर देते. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, ईरान की सेनाओं के उपसेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल मसूद जाजायेरी ने शनिवार को कहा, “अमेरिका जिस हताशा के साथ ईरान की परमाणु क्षमताओं पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रहा है, वह सपना कभी पूरा नहीं होने वाला.”
जाजायेरी ने कहा, “ईरान की परमाणु शक्ति को लेकर अमेरिका की चिंता क्षेत्र में उनकी निराशा और हार से उपजी है.” इसके अलावा ईरान के रक्षा शक्ति के विकास से अमेरिका कमजोर स्थिति में आ गया है. उन्होंने अमेरिका से क्षेत्र छोड़ देने का आग्रह किया है. उन्होंने जोर देकर कहा, “ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए वार्ता की पूर्व शर्त यह है कि अमेरिका और यूरोप अपने परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों को नष्ट करें.”