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अमेरिका-भारत के खिलाफ परमाणु का प्रयोग करेगा चीन

img_20161012120848बताया जा रहा है कि फ्यूल री-फिलिंग किए बगैर यह रिएक्टर साउथ चाइना सी में मौजूद चीन के कब्जे वाले आईलैंड्स को दशकों तक बिजली सप्लाई कर सकता है।
हांगकांग-आधारित ‘साइथ चाइना मॉर्निंगपोस्ट’ की खबर के मुताबिक, इस पावर प्लांट में लेड-कूल्ड थर्मल रिएक्टर का इस्तेमाल होगा। रूस (तब सोवियत यूनियन) 70 के दशक में इसका इस्तेमाल अपनी पनडुब्बियों में करता था।
महज 6.1 मीटर लंबे और 2.6 मीटर ऊंचे कंटेनर में फिट किया गया यह रिएक्टर 10 मेगावॉट हीट जेनरेट करेगा। इसे इलेक्ट्रिसिटी में बदला जाए तो यह करीब 50 हजार घरों को बिजली सप्लाई कर सकता है। 
साइंटिस्ट्स के मुताबिक, इससे धूल-धुआं भी नहीं निकलता। इससे किसी छोटे से आईलैंड पर भी लोग आसानी से इसका पता नहीं लगा पाएंगे। ऐसा हुआ तो इस टेक्नीक को इस्तेमाल करने वाला चीन दुनिया का पहला देश बन जाएगा। 
 मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस न्यूक्लियर पावर प्लांट की पहली यूनिट तैयार करके पांच साल में साउथ चाइना सी में मौजूद आईलैंड्स पर भेज दी जाएगी।
चीनी स्टेट मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने चाइना नेशनल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन के हवाले से बताया कि चीन की प्लानिंग 20 तैरते एटमी एनर्जी प्लेटफॉर्म बनाने की है। बीजिंग में मंगलवार को एक हाईलेवल सिक्युरिटी फोरम में चीन ने न्यूजीलैंड के रक्षा मंत्री से कहा कि साउथ चाइना सी के मसले में वे देश हस्तक्षेप करें जो इसके विवाद का हिस्सा नहीं हैं।
 जुलाई में एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने भी चीन के दावों को खारिज कर दिया था। लेकिन चीन ने कोर्ट के फैसले को नहीं माना। चीन के कब्जे को लेकर फिलीपींस ने इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। चीन दावा करता है कि साउथ चाइना सी के पूरे इलाके पर उसका अधिकार है। जबकि ब्रुनेई, मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान वियतनाम भी इस पर दावा करते हैं। चीन ने यहां न केवल आर्टिफिशियल आइलैंड बना लिया, बल्कि बड़ी तादाद में आर्मी डिप्लॉय की हैं। वहां हवाई पट्टी भी बना ली है।
 

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