अमेरिका में महिलाओं का खतना करने की परम्परा है
नयी दिल्ली। अमेरिका में महिलाओं का खतना करने की कोई खास परम्परा नहीं है। हालांकि डेली मेल के अनुसार एक नयी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 2012 में अमेरिका में पांच लाख महिलाएं खतने के खतरे में थी। यह आंकड़ा 1990 के एक लाख 68 हजार लड़कियों और महिलाओं के आंकड़े से तीन गुना से अधिक है। इस रिपोर्ट को सेंटर्स फार डिसीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेंशन ने तैयार किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के अनुसार एफजीएम उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें महिलाओं के यौन अंग को चोट पहुंचायी जाए या उसे आंशिक रुप से या उसके बाहरी भाग को पूरी तौर पर निकाल दिया जाए। और यह काम धार्मिक, सांस्कृतिक या परम्परा के आधार पर किया जाए।
महिलाओं का खतना यहां आम है
महिलाओं का खतना अफ्रीका में आम है और दक्षिण एशिया और मिडल ईस्ट सहित कुछ देशों में प्रचलित है जबकि अमेरिका में 1996 से प्रतिबंधित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में प्रवासियों की संख्या बढ़ने से यह संख्या बढ़ी है न कि इन देशों में एफजीएम पर प्रतिबंध लगने से।
हालांकि महिलाओं के खतने की परम्परा मानव के अधिकारों के सिद्धान्त का उल्लंघन करती है लेकिन कुछ जगह यह प्राचीन काल से चली आ रही परम्परा के रूप में विद्यमान है। यह परम्परा महिलाओं के विरुद्ध विभेद के सभी सिद्धान्तों को समाप्त करने के अधिवेशन और मानव अधिकारों के विरुद्ध है। एफजीएम से शारीरिक, सेक्सुअल और मनोवैज्ञानिक दिक्कतें हो जाती हैं जिसमें से कुछ तो तत्काल और कुछ दूरगामी असर रखती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति वर्ष तकरीबन तीस लाख महिलाएं इस यंत्रणादायक प्रक्रिया से होकर गुजरती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में कितनी महिलाएं इस प्रक्रिया से होकर गुजरती हैं इसका कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है। अमेरिका में रहने वाले लोग या तो स्थानीय स्तर पर यह करवा रहे हैं या फिर अपनी लड़कियोंको इसके लिए देश से बाहर भेज रहे हैं।