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अयोध्या केस पर विनय कटियार का बयान, विस्फोटक बनने से पहले कोर्ट करे समाधान

अयोध्या विवाद में अब सुप्रीम कोर्ट 29 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगी। मामले पर तारीख पर तारीख मिलने से बीजेपी नेता विनय कटियार ने चेतावनी दी हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या केस में कोर्ट संभाले नहीं तो स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। आपको बता दें कि पांच जजों की पीठ में जस्टिस यूयू ललित शामिल नहीं होंगे। उन्होंने खुद को इस बेंच से अलग कर लिया है। अब नई बेंच का गठन किया जाएगा।

अयोध्या केस पर विनय कटियार का बयान, विस्फोटक बनने से पहले कोर्ट करे समाधानइस पर वीएचपी नेता आलोक ने कहा कि हमको पहले से आशंका थी कि विपक्ष पहले से ऐसा कुछ करेगा, जिससे मामले की सुनवाई आगे टल जाये। ये मामला उठाना कि बेंच गठित पर सवाल खड़े करना बेतुका हैं। उन्होंने कहा कि जस्टिस ललित का मामला भी बेकार में उठाया गया। वो इन अपीलों में कभी पेश नहीं हुए, वो इन मुकदमों में कभी पेश नहीं हुए। वो कल्याण सिंह के लिए पेश हुए, इससे वह बेंच में रहने के लिए अक्षम साबित नहीं होते।

उन्होंने कहा कि हमने कानून से आशा छोड़ दिया हैं और अब धर्मसभा ही तय करेगी कि राम मंदिर को लेकर अगला कदम क्या होगा। वहीं उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि नया फॉर्मुला सामने आया और फिर केस को आगे बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि क्यों बाबरी पक्षकार मेरिट पर बहस नहीं करना चाहता ?, जस्टिस ललित पर सवाल उठाकर एक बार फिर बेंच गठित होगी। पूरा देश कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा हैं, कब तक भागेंगे…

क्या था कल्याण सिंह का केस-  कल्याण सिंह के जिस केस का जिक्र वकील राजीव धवन ने किया, वो 1994 का है। तब राम मंदिर मामले में कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने के मामले में सुनवाई हुई थी और यूयू ललित वकील के रूप में पेश हुए थे। उस मामले में कोर्ट ने कल्याण सिंह को एक दिन के जेल और 20 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी थी।

गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 30 सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ अदालत में 14 अपीलें दायर की गयी हैं। हाईकोर्ट ने इस फैसले में विवादित भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर- बराबर बांटने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ अपील दायर होने पर अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने के साथ ही विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था।

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