अयोध्या पर फैसले के बाद डोभाल ने की बैठक, शांति व्यवस्था पर बातचीत
अयोध्या विवाद मामले में 70 साल चली कानूनी लड़ाई और सुप्रीम कोर्ट में लगातार 40 दिन की सुनवाई के बाद शनिवार को ऐतिहासिक फैसला आया. फैसला विवादित जमीन पर रामलला के हक में सुनाया गया. इस फैसले के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने साधु-संतों के साथ मीटिंग की. मीटिंग में स्वामी रामदेव, अवधेशानंद गिरी (आचार्य महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा), स्वामी परमात्मानंद शामिल हुए. तकरीबन 2 घंटे चली इस मीटिंग में देश में शांति व्यवस्था को लेकर चर्चा की गई.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि विवादित भूमि रामलला विराजमान को दी जाएगी और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी. अदालत ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी. केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर बनाने के लिए 3 महीने में एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया लेकिन साथ ही कहा कि निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में जगह दी जाएगी.
पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी
फैसले के बाद कहीं कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैद दिखी. यहां तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी नजर रखी गई ताकि किसी प्रकार की अफवाह से शांति भंग न हो. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनएसए अजीत डोभाल, गृह सचिव अजीत भल्ला, आईबी के निदेशक अरविंद कुमार के साथ हर एक स्थिति पर नजर रखी.
संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने अयोध्या की विवादित जमीन पर एक हजार पैंतालीस पेज के अपने फैसले में कई अहम बातें कहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के साथ निर्मोही अखाड़े को भी बराबर जमीन देने का फैसला सुनाया था. हालांकि, कोर्ट ने केंद्र से कहा कि निर्मोही अखाड़ा को सरकार ट्रस्ट में शामिल कर सकती है.