- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- जल्द हो अयोध्या मामले का समाधान
नई दिल्ली : अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर टलने के एक दिन बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि देश की जनता इस मामले पर जल्द फैसला चाहती है। उन्होंने कहा कि मंदिर मामला 70 साल से लटका है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, देश की जनता अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण चाहती है। बतौर देश के नागरिक मैं कहना चाहूंगा कि इस मामले का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए। उन्होंने कहा, देश की बहुत बड़ी जनता की अपेक्षा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी चीफ अमित शाह बोल चुके हैं कि इस मामले का निपटारा संवैधानिक तरीके से होना चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने कहा, राम जन्मभूमि का मामला कुल 70 साल से पेंडिंग है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी मामला सालों से पेंडिंग है। पूरा केस 70 साल पुराना हो चुका है। इस मामले का जल्द निष्पादन होना चाहिए। प्रसाद ने कहा कि सबरीमाला, अडल्टरी मामला, कर्नाटक में सरकार बनाने के मामले पर या फिर अर्बन माओवादियों के मामले जल्द सुनवाई हो जाती है। यह अच्छी बात है लेकिन अयोध्या मामले का भी जल्द समाधान निकले। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट का सम्मान करते हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई टल गई है। 2 दिन पहले ही सीजेआई रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए 5 सदस्यीय नई संवैधानिक बेंच का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के अडिशनल रजिस्ट्रार लिस्टिंग की ओर से रविवार को जारी नोटिस के मुताबिक संवैधानिक बेंच में शामिल जस्टिस एस. ए. बोबडे 29 जनवरी को मौजूद नहीं रहेंगे, इस वजह से मामले की सुनवाई नहीं होगी। जस्टिस यू. यू. ललित के मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद नए बेंच का गठन किया गया है। पहले से सुनवाई की तारीख 29 जनवरी तय की गई थी लेकिन अब यह तारीख स्थगित कर दी गई है, इसके बाद नई तारीख तय की जाएगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार को नई संवैधानिक बेंच का गठन किया। नई बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर को शामिल किया गया है। बेंच के तीन अन्य जजों में मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। इससे पहले, अयोध्या मामले के लिए गठित पुरानी बेंच से जस्टिस यू. यू. ललित ने खुद को दूर कर लिया था, जिसके बाद सीजेआई ने नई बेंच का गठन किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था।