अयोध्या में अब साधुओं का सत्यापन करेगी योगी सरकार, फर्जी बाबाओं पर लगेगी लगाम
हाल के दिनों में जिस तरह से देश के बड़े संतों के खिलाफ आपराधिक मामले सामने आए हैं और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की कवायद तेज़ हुई है ऐसे में भगवान राम की नगरी अयोध्या में सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन ने साधू संतो के पहचान का सत्यापन करने का निर्णय लिया है.
अयोध्या प्रशासन के अनुसार बाहर से आकर बसने वाले साधुओं और संतों के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जाएगी. साथ ही अयोध्या में रहने वाले हर संतों के रिकॉर्ड प्रशासन अपने पास रखेगी.
गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवादित स्थल होने के कारण सुरक्षा के लिहाज़ से हमेशा संवेदनशील रहा है. प्रशासन का मानना है कि अयोध्या में देश के विभिन्न राज्यों और विदेश से भी साधूवेशधारी भगवान के दर्शन करने आते हैं और यहां के मठों मंदिरों में बस जाते हैं. जिनकी विश्वसनियता की जांच कर पाना मुश्किल था. लिहाजा प्रशासन बाहर से आकर बसने इन साधुओं और संतों पर विशेष नज़र रखेगा.
अयोध्या में चल चुका है हत्याओं का दौर
आपको बता दे कि अयोध्या में मंदिरों की संपत्ती पर कब्जे को लेकर हत्याओं का एक लम्बा दौर चल चुका है. चूंकि अयोध्या के ज्यादातर मंदिरों के पास करोड़ो की जमीन-जायदाद हैं. जिस पर वर्चस्व हासिल करने के लिए आपसी रंजिश में कई महंतों की जान जा चुकी है. रामजन्म भूमि के पूर्व पुजारी लाल दास की हत्या बस्ती जिले में मंदिर की ज़मीन को लेकर हुई थी. वहीं बाबा रघुनाथ दास की छावनी के महंत रामप्रताप दास की हत्या भी जमीनी विवाद को लेकर हुई थी.
वहीं माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ल ने महंत राम कृपाल दास को गोलियों से भून दिया था. हालांकि रामकृपाल दास का भी आपराधिक इतिहास रहा है. लिहाजा अयोध्या में यह सिलसिला कई सालों से चलता आ रहा है.
ऐसे में प्रशासन के इस कदम से माना जा रहा है कि आपराधी किस्म के संतों पर लगाम लगेगी और अयोध्या की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी.