अयोध्या विवाद में SC में यूपी सरकार की दलील-फैसले में देरी की साजिश रच रहा मुस्लिम पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्ष पर आरोप लगाया है कि उसकी ओर से 1994 के जिस फैसले का अभी हवाला दिया जा रहा है उसकी वैधता को लेकर कभी सवाल नहीं किया गया.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि न ही निचली अदालत और न ही हाईकोर्ट में इस मामले को उठाया गया है. पिछले 8 साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन इस मामले को कभी नहीं उठाया गया.
राम मंदिर को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मामला 8 साल से लंबित है, लेकिन इस मुद्दे को नहीं उठाया गया. अब जब इस मामले में सभी कागजी करवाई पूरी हो गई है तो इस मामले को उठाया जा रहा है. इसको अभी सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा रहा है ताकि मुख्य मामले में सुनवाई में और देरी हो.
देश की शीर्ष अदालत में 13 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
इससे पहले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस्लाम में मस्जिद की अहमियत है और यह सामूहिकता वाला मजहब है.
उन्होंने कहा कि इस्लाम में मस्जिद की अपनी अहमियत है, इस्लाम में नमाज कहीं भी नमाज अदा की जा सकती है. सामूहिक नमाज मस्जिद में होती है.
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अयोध्या में राम जन्मभूमि में पूजा की याचिका पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी से कहा कि वह याचिका का बाद में उल्लेख करें.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने विवाद के संबंध में स्वामी की याचिका को तुरंत सूचीबद्ध किए जाने और उस पर सुनवाई के अनुरोध पर विचार करने के बाद कहा कि आप बाद में इसका उल्लेख करें.
इस पर स्वामी ने कहा कि ‘बाद में’ शब्द बहुत ही विस्तृत अर्थ वाला है और वह 15 दिन बाद फिर से इस याचिका को रखेंगे. सुप्रीम कोर्ट स्वामी की ऐसी ही अपील पहले भी अस्वीकृत कर चुका है.