अरबों के मालिक विजयपत सिंघानिया आखिर क्यों हुए एक-एक पैसे के मोहताज, जानें कारण
देश के सबसे अमीर परिवारों में से एक सिंघानिया परिवार में विवाद शुरू हो गया है। देश के जाने-माने ब्रांड में शुमार रेमंड लिमिटेड को अपने बेटे को सौंपने के बाद 78 वर्षीय विजयपत सिंहानिया दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं। बेटे गौतम सिंहानिया ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है जिसके चलते वह एक-एक पैसे के मोहताज हो गए हैं। अब विजयपत ने बांबे हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई है।
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रेमंड लिमिटेड के मालिक रहे विजयपत सिंघानिया मुंबई के ग्रैंड पराडी सोसायटी में किराए के मकान में रह रहे हैं। उन्होंने दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल्स में अपने 36 मंजिला जेके हाउस में डुपलेक्स घर के लिए बांबे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट में जिरह के दौरान सिंघानिया के वकील दिनयर मेडन ने कोर्ट को उनकी दुखभरी कहानी बताई और कहा कि विजयपत इन दिनों पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं।
विजयपत सिंहानिया ने अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे के नाम कर दी लेकिन, बेटा उनका ख्याल नहीं रख रहा है। इतना ही नहीं सिंहानिया ने अपने बेटे को कंपनी के सारे शेयर भी दे दिए हैं जिसकी कीमत करीब 1000 करोड़ थी लेकिन, गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। यहां तक कि सिंघानिया के पास अब गाड़ी और ड्राइवर भी नहीं है।
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विजयपत सिंहानिया ने जिस घर के लिए याचिका दायर की है वह 1960 में बना था और तब 14 मंजिला था। उसके बाद इस बिल्डिंग के 4 डुपलेक्स रेमंड की उपकंपनी पश्मीना होल्डिंग्स को दे दिया गया था। साल 2007 में कंपनी ने इस बिल्डिंग को फिर से बनवाने का फैसला किया।
करार के मुताबिक सिंघानिया और गौतम, वीनादेवी (सिंघानिया के भाई अजयपत सिंघानिया की विधवा), और उनके बेटों अनंत और अक्षयपत सिंघानिया को 5185 वर्गफुट एक-एक डुपलेक्स मिलना था। इसकी कीमत 9 हजार प्रति वर्गफुट थी। अपार्टमेंट में अपने हिस्से के लिए वीनादेवी और अनंत ने पहले से ही एक संयुक्त याचिका दायर की है। वहीं, अक्षयपत ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दायर की है।