नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस आज वहां सदन में शक्ति परिक्षण करने जा रही है। इससे पहले मुख्यमंत्री नाबाम तुकी ने सदन में बहुमत साबित करने के लिए 10 दिनों का वक्त मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें मोहलत देने से इनकार कर दिया था। राज्यपाल के इस रुख के बाद कांग्रेस ने राज्य में अपनी सरकार बचाने के लिए नई रणनीति बनाई है, जिसमें तुकी की जगह पार्टी का कोई दूसरा नेता सदन में बहुमत साबित करेगा। दरअसल कांग्रेस के 20 बागी विधायकों ने संकेत दिए हैं कि पार्टी अगर नेतृत्व में परिवर्तन करती है तो वह बगावती तेवर छोड़ पार्टी में वापस लौट सकते हैं। अगर ये विधायक सदन में कांग्रेस का समर्थन करते हैं तो 60 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के पास 35 विधायकों का समर्थन होगा और इस तरह वह आसानी से बहुमत साबित कर लेगी। पार्टी ने अब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है, जहां मुख्यमंत्री नबाम तुकी अपने उत्तराधिकारी के नाम का प्रस्ताव करेंगे। इस बाबत कांग्रेस से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि उत्तराधिकारी के लिए पेमा खांडू और चाउना मीन के नाम सामने हैं, लेकिन नेता का चुनाव अंतत: विधायकों की मर्जी से ही होगा।
इससे पहले शुक्रवार दोपहर तुकी ने शक्ति परिक्षण के लिए राज्यपाल से 10 दिनों का वक्त मांगा था। वहीं अरुणाचल विधानसभा अध्यक्ष नाबाम रबिया ने संकेत दिए थे कि वह सदन में शक्ति परिक्षण की स्थिति में नहीं हैं। हालांकि अब कांग्रेस की इस नई रणनीति के बाद विधानसभा अध्यक्ष अब आज दोपहर शक्ति परिक्षण कराएंगे। विधानसभा सचिवालय से जुड़े सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि शनिवार दोपहर 1 बजे शक्ति परिक्षण निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि इससे पहले अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार को बड़ा झटका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल करते हुए राष्ट्रपति शासन रद्द कर दिया था। कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के बागी किलखो पुल की सरकार की जगह नबाम तुकी ने मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज संभाल लिया।