अन्तर्राष्ट्रीय

‘अरे ओ अमेरिका अंकल…किसी घमंड में न रहना’

america_1464511477एजेंसी/ अरे ओ अमेरिका अंकल…तू किसी घमंड में न रहना। हम अपना अच्छा बुरा खूब जानने लगे हैं। वे दिन गए अंकल, जब आप हमारे कमसिनी और भोलेपन का नाजायज फायदा उठा ‘चीजी’ दिलाने के बहाने कभी सीटू और कभी सेंटो में बरगला ले जाते थे और हमें बताया तक नहीं कि ये दोनों संगठन चीन और रूस के हक में नहीं होंगी।
 

जाने जिगर अंकल! अब हम इतने मूर्ख नहीं रहे कि तुम्हें पहले की तरह अड्डे, हवाई क्षेत्र सहित दे दें। खूब समझते हैं कि दोस्ती और संप्रभुता में क्या अंतर होता है। हम कल की तरह, इस डराने में नहीं आएंगे कि खबरदार आपने हमारा साथ नहीं दिया तो सोवियत अंकल अफगानिस्तान के बाद तुम्हें भी बिना डकारे खा जाएगा।

हम बड़े हो गए हैं मी लॉर्ड। किसी धौंस या लालच में आकर किसी अब्दुस सलाम, आफ‌िया सिद्दीकी या रेमंड डेविस को अब तुम्हारे हवाले नहीं करेंगे। हिम्मत है तो शकील अफ़रीदी को छुड़ा ले जाओ। अंकल देखो, एक भी एबटाबाद दोबारा हुई ना तो ऐसा जवाबी प्रतिक्रिया देंगे कि तुम्हारे होश ठिकाने आ जाएंगे। क्या समझे?
पिछले 12 सालों के दौरान हमने ड्रोन हमलों का धैर्यपूर्वक विरोध किया है, मगर आप शायद हमारे धैर्य को हमारी कमजोरी समझते रहे। अब अगर एक भी ड्रोन हमारी सीमा में भनभनाता नज़र आया, तो आप देखेंगे कि हम उसके साथ क्या-क्या नहीं करते हैं।

1950, साठ, अस्सी या नब्बे नहीं हुजूर कि हम पैसे की चमक और नोट की खुशबू पर लोटपोट हो जाएं। यह 2016 है अंकल, अब हमें किसी की जरूरत नहीं, हम अपने पैरों पर अंकल चीन की मदद से खड़े होना जानते हैं।…और तू भी सुन अबे ओ पड़ोसी देश।

क्या नॉन स्टेट एक्टर वेक्टर की टर्र-टर्र लगा रखी है। खुद उन्हें घुसने से रोक नहीं सकता और हमें तेवर दिखाता है। अबे चल…बहुत बकवास सुन ली। बासठ में अंकल चीन से पिटने के बाद पैंसठ, इकहत्तर, नब्बे में हमारे हाथों अपनी ठुकाई भूल गया क्या? क्या कहा? बकवास कर रहा हूं? कभी हमारी सिलेबस की किताबें पढ़ी हैं? बच्चा-बच्चा जानता है कि तेरे साथ हमने क्या किया।
और सुन, हम इस धौंस में नहीं आने वाले कि अंकल अमेरिका ने अब तेरे कंधे पर हाथ रख दिया है। वाह मेरे सूरमा! क्या ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ मिलकर हमें घेरेगा? मर्द का बच्चा है तो अकेला आ ना।

ओए अफ़ग़ान? हमारी बिल्ली हमें ही म्याऊं… चल तू भी अरमान पूरा कर ले। अमेरिका के कंधे पर बैठकर ईरान और भारत के साथ शांति के गीत गा-बजा ले। कल आना तो हमारे पास ही होगा ना।

तब करेंगे तेरा हिसाब-किताब। ये जो तेरे लाखों लोग हमारे यहां बस गए हैं, उनका हिसाब किताब ही तेरे होश ठीक करने के लिए काफ़ी होगा।ओए ईरानी…सूरी…प्रिय भाईजान…आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि आप भी बहकावे में आ जाएंगे। वह शेर तो आपने सुना ही होगा, आगा देखा जो तीर खां वगैरह-वगैरह।।।

ठीक है भाई…सब हमारे ऊपर उंगलियां उठा रहे हैं, आप भी उठा लो…तुम भी एक हाथ मार लो…कभी दिन बड़े कभी रातें… लेकिन यदि तुम में से किसी ने भी हमारी अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता और खुद्दारी की ओर मैली आंख से देखने की कोशिश भी की तो हम।।।तो  हम…अरे…यह भी इतनी जल्दी ख़ाली हो गई…क्या वक्त हुआ है यार? यारो एक सिगरेट ही पिला दो जरा…

 
 
 

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