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अवैध बांग्लादेशियों वाले इलाके में वेरिफिकेशन प्रक्रिया धीमी

असम में सोमवार को जारी किए गए नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के पहले ड्राफ्ट से पता चलता है कि ऊपरी असम की तुलना में राज्य के निचले, मध्यवर्ती इलाकों तथा बराक घाटी में वेरिफिकेशन प्रक्रिया धीमी है। यह ऐसे इलाके हैं जहां बड़ी संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं। ऊपरी असम के जोरहाट जिले में 9 लाख 70 हजार आवेदनों में 87 फीसदी लोगों और डिब्रूगढ़ जिले के 13 लाख आवेदनों में 80 फीसदी लोगो को पहले ड्राफ्ट में शामिल कर लिया गया है।अवैध बांग्लादेशियों वाले इलाके में वेरिफिकेशन प्रक्रिया धीमी

 उधर, तिनसुकिया जिले में कुल आवेदनों में से 73 फीसदी को रजिस्टर में शामिल किया गया है। ऊपरी असम में नामों का शामिल किया जाना, पूरे राज्य के कुल औसत 57.75 फीसदी से ज्यादा है। बीजेपी विधायक शिलादित्य देव ने इस संबंध में कहा, ‘यह स्वाभाविक है कि जहां प्रवासी लोगों की समस्या है, वहां वेरिफिकेशन प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से धीमी होगी। ऊपरी असम के जिले राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में इस समस्या से अपेक्षाकृत रूप से मुक्त हैं।’ 

एआईयूडीएफ के महासचिव अमिनुल इस्लाम ने कहा कि चूंकि वेरिफिकेशन प्रक्रिया में प्रवासियों में से वास्तविक भारतीय नागरिकों को तलाशना होगा, इसलिए उन स्थानों पर इसकी गति धीमी होगी, जहां यह समस्या है। उन्होंने कहा, ‘हम पूरी तरह से सुरक्षित एनआरसी चाहते हैं जिसमें एक भी वास्तविक भारतीय नागरिक छूटे नहीं। 

असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने पहले ड्राफ्ट को लाने में मदद के लिए राज्य के लोगों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह लोगों का समर्थन ही था कि ड्राफ्ट आसानी से जारी हो गया। हम फाइनल ड्राफ्ट में भी लोगों का सहयोग चाहेंगे।’ ऐतिहासिक रूप से ऊपरी असम के जिले राज्य के निचले और मध्यवर्ती हिस्सों की अपेक्षा बांग्लादेशियों की समस्या से प्रभावित नहीं रहे हैं। 

बता दें, पहले ड्राफ्ट में असम के 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को जगह दी गई है, जिन्हें कानूनी रूप से भारत का नागरिक माना गया है। बाकी नामों को लेकर विभिन्न स्तरों पर वेरिफिकेशन की जा रही है। 

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