असम और मिजोरम मिलकर सुलझाएंगे विवाद, सुलह के लिए बनी सहमति
नई दिल्ली: असम और मिजोरम के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के मुद्दे को बातचीत के जरिये सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने पर गुरुवार को सहमति बन गई। टकराव वाली जगहों पर नए सिरे से पुलिस बलों की तैनाती नहीं करने का भी निर्णय लिया गया। साथ ही असम सरकार ने मिजोरम के खिलाफ जारी यात्रा परामर्श भी रद्द करने का फैसला किया। देर शाम इस बाबत आदेश जारी कर दिया गया।
दरअसल, दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच गुरुवार को वार्ता हुई। इसके बाद असम और मिजोरम सरकार द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों राज्य सरकारें अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्रों में शांति कायम रखने पर सहमत हुई हैं। इस सिलसिले में भारत सरकार द्वारा तटस्थ बल की तैनाती का स्वागत किया। इसमें कहा गया है कि इस उद्देश्य के लिए दोनों राज्य अपने-अपने वन और पुलिस बलों को गश्त करने, वर्चस्व स्थापित करने, प्रवर्तन के लिए नहीं भेजेंगे। साथ ही, हाल के समय में दोनों राज्यों के पुलिस बलों के बीच जिन स्थानों पर टकराव हुआ था उन इलाकों में बलों की नये सिरे से तैनाती नहीं की जाएगी।
इसमें असम में करीमगंज, हैलाकांडी और कछार जिलों तथा मिजोरम के मामित और कोलासिब जिलों में असम-मिजोरम सीमा से लगे सभी इलाके शामिल हैं। दोनों राज्यों के बीच वाहनों के आवागमन को शुरू करने के लिए पहल करने पर भी सहमति बनी। संयुक्त बयान पर असम के सीमा सुरक्षा एवं विकास मंत्री अतुल बोरा और विभाग के आयुक्त एवं सचिव जीडी त्रिपाठी ने जबकि मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलीयाना और गृह सचिव वनलंगथस्का ने हस्ताक्षर किए हैं।
असम के मंत्री अशोक सिंहल द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए बयान में कहा गया है, असम और मिजोरम सरकारों के छह प्रतिनिधि असम और मिजोरम में, खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों के बीच शांति और सौहार्द्र को बढ़ावा देने तथा उन्हें कायम रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने को सहमत हुए। मिजोरम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, असम सरकार और मिजोरम सरकार ने आइजोल में वार्ता के बाद आज सफलतापूर्वक एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए। दोनों सरकारें मौजूदा तनाव को दूर करने और चर्चा के जरिये टिकाऊ हल निकालने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल को आगे ले जाने पर सहमत हुईं।