नई दिल्ली। बिहार चुनाव में अपेक्षित सफलता ने मिलने से भाजपा अब अन्य राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में फूंक-फूंक कर कदम रखने की योजना पर काम कर रही है। ताजा मामला असम का है। सूत्रों के अनुसार असम में ओबीसी 6 समुदायों को एसटी का दर्जा देने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर सकते हैं।
सरकार के सामने यह प्रस्ताव पेश किया गया है।पार्टी प्रमुख अमित शाह और राज्य प्रभारी राम माधव ने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर तुरन्त ध्यान देने को कहा है ताकि ताजा सीमांकन कराया जा सके।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि कैबिनेट में यह प्रस्ताव पहले भेजा जाएगा और इसके बाद संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस कवायद से बांग्लादेशी मुसलमानों के बढ़ते प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा राज्य में आबादी में आ रहे बदलावों पर गम्भीर चिन्ता जता चुकी है। वर्ष 2011 के जनसंख्या आंकड़ों के अनुसार राज्य में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 34 तक हो गया है। अधिकारियों के अनुसार प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर अधिकारियों से चर्चा की है।
सुरक्षा पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से विचार-विमर्श किया गया है। इसके अलावा जनजातीय मंत्रालय के अधिकारियों, जनसंख्या पंजीयक से भी चर्चा की गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में मुस्लिमों की जनसंख्या में हिस्सेदारी 34 फीसदी है।
इस वजह से कांग्रेस और एआईयूडीएफ विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन करने पर विचार कर रहे हैं। इससे बीजेपी की चिंता बढ़ गई है।
मौलाना बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ को बांग्लादेशी मुस्लिमों के हितों की रक्षा करने वाली पार्टी माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 18 सीटें मिलीं थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में एआईयूडीएफ और कांग्रेस को राज्य में तीन-तीन सीटें मिली थी।
वहीं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 6 ओबीसी जातियों में मोरान, मुतौक, तइ अहोम, कोच राजभोंगशी, सूतिया और 36 टी ट्राइब्स को एसटी का दर्जा मिलने के बाद कुल 126 विधानसभा सीटों में आरक्षित सीटों की संख्या मौजूदा 16 से बढ़कर लगभग 80 हो जाएगी। इससे असम की राजनीतिक तस्वीर में बांग्लादेशी मुस्लिमों का असर घट जाएगा।