असुरक्षित खून चढ़ाने से 18 महीनों में 2000 लोगों को हुआ HIV
एजेंसी/नई दिल्ली। असुरक्षित खून चढ़ाने से पिछले 18 महीनों के अंदर करीब 2000 लोग मानव इम्यूनो वायरस (HIV) से संक्रमित हो गए। यह जानकारी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों से मिली है।
चेतन कोठारी की ओर से लगाई गई आरटीआई के जवाब में नाको ने बताया कि देशभर में अक्टूबर 2014 से मार्च 2016 के बीच 2234 लोग एचआईवी के संक्रमण की चपेट में आ गए। उन्हें यह बीमारी अस्पतालों द्वारा असुरक्षित संक्रामक रक्त चढ़ाने की वजह से हुई है।
इन मरीजों में से 16 फीसद (361 मामले) उत्तर प्रदेश के हैं। ऐसे में इस राज्य के अस्पताल देश के सबसे असुरक्षित अस्पतालों में से एक हैं। इसके बाद गुजरात का नंबर है, जहां संक्रमित रक्त चढ़ाने के 13 फीसद (292 मामले) और महाराष्ट्र में 12 फीसद (276 मामले) सामने आए।
कई केंद्र शासित प्रदेशों जैसे अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह, दादर-नागर हवेली और पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे मामले सामने नहीं आए। मगर, इस मामले में कोठारी का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने सही रिकॉर्ड नहीं रखे हैं।
त्रिपुरा में ऐसे मामले साल 2007 से 2015 के बीच दोगुने हो गए, लेकिन देशभर के आंकड़ों को देखते हुए इसमें कमी है। दूसरस्थ इलाकों जैसे अंडमान, मेघालय, सिक्किम में भी रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि वहां खून की जांच के पर्याप्त बंदोबस्त नहीं है।
इसके अलावा वहां के लोग सही लैब नहीं होने के कारण एड्स के मामलों के बारे में जागरुक नहीं हैं। कोठारी ने कहा कि बेसिक टेस्टिंग किट करीब 1200 रुपए की आती है। मगर, कई अस्पताल पूरी प्रक्रिया का सही तरह से पालन नहीं करते हैं।