हैदराबाद। तेलंगाना के गठन के दो माह बाद भी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारों के बीच खींचतान बनी हुई है। दोनों ही सरकारें एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं जबकि इसी बीच बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दे अभी तक अनसुलझे पड़े हैं। तेलंगाना सरकार को अपने ‘एकपक्षीय’ कार्यों के लिए अदालतों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है लेकिन वह हिलने को तैयार नहीं है। आंध्र प्रदेश सरकार दोनों राज्यों के संयुक्त राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन को इस बारे में समय समय पर सूचना देती रही है। हाल ही में स्थितियां इस स्तर तक आ गई थीं कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वैंकेया नायडू को दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापना के लिए बीच में आना पड़ा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों- एन चंद्रबाबू नायडू और के. चंद्रशेखर राव को सलाह दी कि वे ‘‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून की भावना का सम्मान करें और तेलुगू लोगों के बीच घृणा न फैलने दें।’’ आंध्र प्रदेश सरकार, तेलंगाना सरकार द्वारा ‘‘आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून के बार-बार उल्लंघन’’ से नाराज है। इस तकरार की वजहों में आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय और श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय का विभाजन है। हालांकि ये दोनों संस्थान आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून की 9वीं या 10वीं दोनों ही अनुसूचियों में शामिल नहीं हैं, फिर भी तेलंगाना सरकार ने दो दिन पहले इनके विभाजन और दोबारा नामकरण करने के आदेश जारी कर दिए। तेलंगाना सरकार का यह कदम आंध्र प्रदेश सरकार की नाराजगी की वजह बना है। आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्यपाल को दी याचिका में कहा, ‘‘जो संस्थान कानून की 9वीं या 10वीं अनुसूची में नहीं आता, वह स्वतरू ही ‘पुरानी स्थिति’ में बना रहेगा। ऐसी स्थिति में वह आंध्र प्रदेश में ही बना रहेगा। दोनों राज्यों के बीच बनी सहमति के अनुसार, इसकी प्रकृति में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिश द्विपक्षीय होनी चाहिए और इसे एकपक्षीय तरीके से नहीं किया जा सकता।’’ आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि असल में राज्यपाल ने खुद पिछले माह केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर इन संस्थानों के साथ-साथ उन 35 अन्य संस्थानों (संगठनों) की स्थिति पर भी स्पष्टता की मांग की थी, जो कानून की 9वीं या 10वीं अनुसूची में नहीं आते। सूत्रों ने कहा, ‘‘केंद्र की ओर से इस मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।’’