लखनऊ : किस अधिकारी से क्या काम लेना है यह तय करने का अधिकार सरकार का होता है। लेकिन, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के विशेष सचिव व आईएएस अधिकारी नरेंद्र प्रसाद पांडेय को लग रहा है कि सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है। वह भी नि:शक्त होने की वजह से। उन्होंने अपर मुख्य सचिव नियुक्ति को पत्र लिखकर एक नि:शक्त के रूप में अपने अधिकारों का हवाला देते हुए कलेक्टर बनाने की मांग की है। दरअसल, नरेंद्र 2010 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी हैं और उनके बैच के अफसरों को पिछले तीन वर्ष से कलेक्टर के पद पर तैनाती मिल रही है। वर्तमान में भी उनके बैच के कई अफसर कलेक्टर हैं। वह अभी तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे, लेकिन जब उनसे जूनियर 2012 बैच तक के अफसर कलेक्टर बनाए जाने लगे तो उनका धैर्य जवाब दे गया। पहले उन्होंने नियुक्ति विभाग के अफसरों व मुख्य सचिव से मिलकर कलेक्टर बनाने की गुहार लगाई। फिर भी बात नहीं तो उन्होंने खुद के नि:शक्त होने और नि:शक्तजन अधिकार का हवाला देते हुए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक को बाकायदा पत्र लिखकर किसी जिले में कलेक्टर बनाने की मांग कर दी। उन्होंने इस पत्र की प्रति मुख्य सचिव को भी भेजी है। नरेंद्र ने लिखा है कि पीसीएस से आईएएस में पदोन्नति का 33 प्रतिशत कोटा है। इसके अलावा दिव्यांगों के लिए नियुक्ति एवं पदोन्नति में 4 प्रतिशत आरक्षण है। सरकार ने सीधी भर्ती के कई नि:शक्त अफसरों को जिलाधिकारी बनाया, लेकिन प्रमोटी आईएएस अधिकारियों में एकमात्र नि:शक्त होने के बावजूद उन्हें अब तक मौका नहीं दिया। व्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के विशेष सचिव नरेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा, मैंने सक्षम स्तर पर अपनी बात कह दी है। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कहना है। वहीं, नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल का कहना है कि नरेंद्र प्रसाद पांडेय का प्रत्यावेदन प्राप्त हुआ है। विचार किया जाएगा।