आईएमएफ में कोटा संबंधी और सुधार की पीएम ने की वकालत
एजेंसी/ नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कोटा संबंधी और सुधार किये जाने की वकालत की ताकि वह वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित कर सके, साथ ही बहुस्तरीय निकाय के कामकाज में भारत और अन्य उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को बढ़ाये। मोदी ने कहा कि 2010 में आईएमएफ में कोटा संशोधन के बारे में बनी सहमति लम्बे समय से लंबित थी और यह अंतत: प्रभाव में आ गई है लेकिन इसके बाद भी आईएमएफ कोटा वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित नहीं करता है।
मोदी ने कहा कि जनवरी में लागू आईएमएफ कोटा सुधार से यह प्रदर्शित हुआ है कि विश्व अर्थव्यवस्था में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अधिक तवज्जो मिली है। उन्होंने कहा, ‘इससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को आईएमएफ के सामूहिक निर्णयों में अपनी आवाज उठाने का ज्यादा अधिकार मिल सकेगा।’ प्रधानमंत्री ने 2010 में किये गए निर्णयों का अनुमोदन करने के लिए सभी सदस्य देशों को तैयार करने में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लागार्दे द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जाहिर कि आईएमएफ अपनी सफलताओं को और आगे बढ़ायेगा। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक संस्थाओं में सुधार एक सतत प्रक्रिया है। और जरूरी है कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हिस्सेदारी को प्रदर्शित करे।’ उल्लेखनीय है कि आईएमएफ ने जनवरी में बहुप्रतीक्षित कोटा सुधार लागू करने की घोषणा की थी जिससे भारत और चीन जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अधिक मतदान अधिकार मिल सकेगा।
आईएमएफ में भारत का कोटा 2.44 प्रतिशत से बढ़कर 2.7 प्रतिशत हो गया जबकि उसकी वोटिंग हिस्सेदारी 2.34 प्रतिशत से बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो गई है। पहली बार आईएमएफ के 10 बड़े सदस्यों में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स के चार देश ब्राजील, चीन, भारत और रूस शामिल हुए हंै। इन 10 सबसे बड़े सदस्यों में अन्य देश अमेरिका जापान, फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन हैं।