आक्रामक हिंदुत्व की ओर लौट रही है भाजपा?
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/आक्रामक हिंदुत्व, राम मंदिर निर्माण, तुष्टिकरण, लव जिहाद और आतंकवाद। ये मुद्दे क्या आगामी 2017 के विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की नैया उत्तर प्रदेश में पार लगा पाएंगे? यह तय करेगा 13 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर और देवबंद की विधानसभा की सीटों पर हो रहा उपचुनाव।
मुजफ्फरनगर में एक चुनावी सभा में पार्टी के नेता उमेश मलिक ने कहा था कि जिस तरह 2013 में उठी एक चिनगारी ने एक लहर का काम किया जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक बार फिर राज्य में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ करेगा।
वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में दंगे भड़के थे। इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया था। पार्टी को लगता है कि 2017 में होने वाले विधानसभा के चुनावों में भी पार्टी को बेहतर प्रदर्शन करना है तो उसका एजेंडा भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही तय करेगा।
शायद यही वजह है कि पार्टी ने दंगों के दागदार अपने सभी नेताओं को उप चुनाव के प्रचार की कमान थमाई है। 2014 में लोकसभा के चुनाव की तर्ज पर ही इस उपचुनाव में प्रचार हो रहा है। मगर इस बार ‘सबका साथ, सबका विकास’ एजेंडा नदारद है। भाजपा के मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष सत्यपाल सिंह ने बीबीसी से कहा कि राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा अहम है और हमेशा रहेगा चाहे चुनाव हों या न हों।
सत्यपाल सिंह कहते हैं, “सबसे पहले मुजफ्फरनगर से ही इस मुद्दे की शुरुआत हुई थी। यह 1982 की बात है जब विश्व हिंदू परिषद ने यहाँ से राम मंदिर के निर्माण के आंदोलन की शुरुआत की थी। बाद में यहीं से शिला पूजन का भी आह्वान किया गया था। इस बार भी राम मंदिर के निर्माण के लिए मुजफ्फरनगर से ही शुरुआत होगी।”
भाजपा ने 2014 की तरह ही प्रचार में आक्रामक तेवर अपनाए हैं। जनसभाओं में पार्टी के नेता खुलकर उत्तेजक भाषण दे रहे हैं। रविवार को भाजपा के विधायक सुरेश राणा देवबंद में जनसभा में यहाँ तक कह गए कि “पठानकोट में हुए हमले की साजिश देवबंद में ही रची गई।”
भाजपा का कहना है कि मुजफ्फरनगर से कांग्रेस के प्रत्याशी सलमान सईद पर भी 2013 में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। चुनावी प्रचार के दौरान ही मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 2013 के दंगों से जुड़े एक मामले में 10 अभियुक्तों को दोषमुक्त कर दिया है। इसके बाद भाजपा ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने निर्दोष लोगों को फंसाने का काम किया था।
हालाँकि जमात-ए-इस्लामी-ए-हिंद ने राज्य सरकार को एक प्रतिवेदन देकर कहा है कि निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाए। भाजपा की रणनीति पर सपा का कहना है कि 2014 के लोकसभा के चुनाव के फौरन बाद हुए उपचुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी के नेता गौरव स्वरूप का कहना है कि 2014 में भाजपा का हिंदुत्व का एजेंडा फेल रहा था। उन्होंने कहा, “वैसा ही कुछ इस बार भी होने वाला है क्योंकि लोग अब इन सबसे ऊब चुके हैं।”