आखिर क्या है स्वामी प्रसाद मौर्य का ‘मुलायम कनेक्शन’
मुलायम भी तब जनता दल का हिस्सा थे।आगे चलकर मुलायम ने समाजवादी पार्टी बनाई और मौर्य 1996 में बसपा में शामिल हो गए। इस तरह मौर्य एक दशक से ज्यादा समय तक सपा मुखिया के साथ रह चुके हैं। अब एक बार फिर उनकी नई पारी सपा के साथ शुरू होने के संकेत हैं।
1996 के विधानसभा चुनाव में मौर्य पहली बार विधायक चुने गए। कुल चार बार वे विधायक चुने गए। जब वे विधायक नहीं थे तो मायावती ने उन्हें एमएलसी बनाया। मायावती जब-जब सरकार में आईं, मौर्य को मंत्री बनाया।
बसपा विपक्ष में रही तो उन्हें पार्टी विधानमंडल का नेता और नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी सौंपी। मायावती ने उन्हें विधान परिषद में नेता सदन की जिम्मेदारी भी सौंपी। वे 2007 से 2012 तक बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2012 में जब प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी वापस ली गई तो राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए।
लोकायुक्त चयन समिति में मौर्य भी सदस्य थे और इस मामले में मुख्यमंत्री व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की राय अलग-अलग होने के संकेतों के बीच उनकी भूमिका अहम हो गई थी।
बताया जाता है कि मायावती के सख्त निर्देशों के बाद ही मौर्य ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी जिसमें सरकार से अलग राय दी।