उत्तराखंडराज्य

आखिर क्यों? केजरीवाल बनना चाहते हैं उत्तराखंड के ये अफसर

arvind-kejriwal-562ba87ff3114_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/देहरादून की ट्रैफिक से परेशान डीएम शहर में मौजूदा यातायात व्यवस्थाओं को सुधारने की गुंजाइश की जगह सीधे यानि ऑड इवन और नो कार डे के दोहरे फार्मूले को लागू करने के पक्ष में हैँ।

शहर में पार्किंग स्थल की कमी, टूटी सड़कें, खराब ट्रैफिक लाइटें, सड़कों के किनारे अतिक्रमण आदि व्यवस्थाओं को सुधार जिस ट्रैफिक को सुधारा जा सकता है उसपर एकाएक फार्मूला लागू करने के पक्ष में ना तो कांग्रेस है ना ही भाजपा। आम जनमानस भी इससे सहमत नहीं है। शहर में फ्लाई ओवर का निर्माण कई साल से चल रहा है।

निर्माण कार्य अधूरा पड़ा होने से सड़कों पर जाम आम रहता है। लोगों का कहना है कि रिटायर्ड अफसरों की पहली पसंद इस शहर में ऑड इवन और मुख्य मार्गों पर नो कार डे का प्रयोग बेतुका लगता है। जरूरत मूलभूत चीजों को सुधारने की है।

दून में वाहनों के लिए ऑड इवन फार्मूला लागू करने की चर्चाओं पर अमर उजाला ने इस संबंध में शहर के जनप्रतिनिधियों, व्यापारी, अधिवक्ता वर्ग से बातचीत की। ज्यादातर का कहना है कि अगर अधिकारियों में वास्तव में यातायात व्यवस्था सुधारने की इच्छा शक्ति है तो पहले शहर की पार्किंग, अतिक्रमण, टूटी सड़कों की स्थिति सुधारी जाए।

‘ये बहुत सेंसेटिव इश्यू होते हैं। इसमें सबसे पहले पब्लिक ओपिनियन ली जानी जरूरी है। जनता से विचार विमर्श के बाद ही इस तरह के निर्णय पर सरकार को फैसला लेना चाहिए। आधी अधूरी तैयारी के साथ ऐसे इश्यूज को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।’
– दिनेश अग्रवाल कैबिनेट मंत्री एवं धर्मपुर विधायक

‘कोई भी नीति लागू करने से पहले दून के ट्रैफिक का गहन शोध होना चाहिए। हमारे यहां दिल्ली वाली स्थिति नहीं है। इसलिए यहां पर अतिक्रमण हटाकर और बुनियादी ढांचे को विस्तार देकर यातायात को सुधारा जा सकता है। चूंकि यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन बहुत कमजोर है, इसलिए यहां ऑड इवन या नो कार डे व्यवस्था को लागू करना व्यवहारिक नहीं है।’
– विनोद चमोली, मेयर

‘यह दिल्ली नहीं, दिल्ली और देहरादून में बहुत अंतर है। वैसे भी इस पर निर्णय डीएम को नहीं सरकार को लेना है। जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती, ऑड इवन की जरूरत नहीं है। डीएम सिर्फ प्रस्ताव दे सकते हैं, जिसका स्वागत है।’
– उमेश शर्मा रायपुर विधायक

‘प्रशासन को पहले पार्किंग की समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। राजधानी और पर्यटन नगरी होने की वजह से यहां बाहर से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। ऐसे में ऑड इवन या नो कार डे से लोगों को राहत के बजाय मुसीबत ही होगी।’
– राजकुमार राजपुर विधायक

‘यह सेवानिवृत्त लोगों का शहर है। ऑड इवन और नो कार डे के बजाय मूल चीजों पर ध्यान दें तो इन सबकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी। शहर में जो फ्लाई ओवर दिसंबर 2014 तक बन जाने चाहिए थे, अब तक नहीं बन पाए हैं। शहर में जेब्रा क्रासिंग, ट्रैफिक लाइट, यू टर्न तो ठीक से बनाएं, यातायात सही हो जाएगा।’
– हरबंस कपूर, कैंट विधायक

‘यह पूरा दिखावा प्रशासन सिर्फ अपनी नाकामी छुपाने के लिए कर रहा है। पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है तो लोग वाहन कहां खड़े करेंगे। देहरादून में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन दिल्ली जैसा ऑड इवन या नो कार डे का देहरादून जैसे शहर में कोई औचित्य नहीं है।’
– गणेश जोशी मसूरी विधायक

‘अपनी कमी पर पर्दा डालने के लिए प्रशासन यह नौटंकी कर रहा है। ये अफसर केजरीवाल बनना चाह रहे हैं। यातायात की प्राथमिक व्यवस्थाएं सुधारने के बजाय अव्यवहारिक प्रयोग किए जा रहे हैं। व्यापारी वर्ग द्वारा इसका विरोध किया जाएगा।’
– उमेश अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड

‘जो भी रणनीति बने वह ठोस बने। ऐसा न हो कि ऑड इवन और नो कार डे की योजना प्रशासन के लिए सुस्ती का बहाना बन जाए। इस पर सभी पक्षों को देखा जाना जरूरी है।’
– अनूप नौटियाल, वरिष्ठ नेता आम आदमी पार्टी

‘पर्यावरण संरक्षण और यातायात दबाव कम करने के लिए पहले भी प्रशासन ऐसे शिगूफे छेड़ता रहा है। खतरनाक धुंआ छोड़ते अनफिट विक्रम और अन्य वाहन प्रदूषण फैला रहे हैं। सख्ती से जांच हो तो बिना परमिट वाले कई वाहन सड़क पर दौड़ते मिल जाएंगे। अतिक्रमण की स्थिति खतरनाक है। इन सब पर नियंत्रण किया जाए तो दून जैसे शहर में फिलहाल ऑड इवन और नो कार डे की आवश्यक्ता नहीं पड़ेगी।’
– आलोक घिल्डियाल, अधिवक्ता

‘यातायात को कैसे सुधारा जाए इस बारे में अभी कई चीजों पर विचार किया जा रहा है। ऑड इवन सिस्टम या नो कार डे पर फैसला सरकार को लेना है। फिलहाल हम (डीएम) खुद और प्रशासन के अधिकारी प्रत्येक शनिवार को सामान्य स्थिति में साइकिल से आने की पहल करेंगे। हालांकि अचानक बैठक होने या ज्यादा दूर से आने वाले अधिकारी अपने वाहन से आ सकते हैं। आमजन से भी इसका अनुरोध किया जाएगा।’
– रविनाथ रमन, जिलाधिकारी

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