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30 जनवरी 1948 को शाम 5:17 बजे दिल्ली के बिड़ला हाउस में गोली की आवाज ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। असल में इसी दिन और समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सीने पर गोलियां दागी गईं थी जिसके बाद उनका निधन हो गया।
बीजेपी के मुखर नेताओं में से एक और राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या पर चर्चा कराने की पैरवी की थी। असल में स्वामी का मानना है कि राष्ट्रपिता की हत्या से जुड़े कई पहलू ऐसे हैं, जिन पर कभी चर्चा तक नहीं हुई। देश के लोगों का भ्रम दूर किया जाना चाहिए और ये बताया जाना चाहिए कि आख़िर वास्तविकता क्या है?
राष्ट्रपिता की हत्या के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये है कि आखिर क्यों गोली लगने के बाद भी गांधी जी के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था।दूसरा सवाल: आधिकारिक तौर पर इस बात की भी जानकारी उपब्ध नहीं है कि हत्यारे नाथूराम गोडसे ने आखिर उन पर कितनी गोलियां चलाई थीं।हालांकि हत्या की सुनवाई के दौरान खुद गोडसे ने अपने बयान में कहा था कि वो गांधी जी पर दो ही गोली चलाना चाहता था, लेकिन तीन गोली चल गई। जबकि कई लोग दावा कर रहे थे कि उसकी रिवॉल्वर से तीन नहीं, कुल चार गोलियां चली थीं।
तीसरा सवाल: इससे भी बड़ा सवाल ये है कि इतने बड़े शख्स की सरेआम हत्या के बाद भी महात्मा गांधी को घायल अवस्था में किसी अस्पताल नहीं ले जाया गया।चौथा सवाल: उन्हें वहीं घटनास्थल पर ही मृत घोषित क्यों कर दिया गया और पांचवां सवाल ये है कि उनका शव बिड़ला हाऊस में ही क्यों रखा गया।