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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार से बुधवार तक इस बारे में रुख स्पष्ट करने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में ‘कूड़े के पहाड़ों’ को साफ करने की जिम्मेदारी किसकी है, उपराज्यपाल अनिल बैजल के प्रति जवाबदेह अधिकारियों की या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति जवाबदेह अधिकारियों की? सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश ऐसे समय दिया जब कुछ दिन पहले उसने उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच सत्ता संघर्ष पर फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी थी कि उपराज्यपाल के पास फैसले करने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और वह निर्वाचित सरकार की मदद एवं सलाह से काम करने के लिए बाध्य हैं।
न्यायमूर्ति एम बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि अब हमें फैसले का फायदा है। दिल्ली विशेषकर भलस्वा, ओखला और गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ हैं। हम जानना चाहते हैं कि कूड़ा साफ करने के लिए जिम्मेदार कौन है, जो उपराज्यपाल के प्रति जवाबदेह हैं या जो मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हैं। सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पिंकी आनंद और दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि कूड़ा प्रबंधन किसके क्षेत्राधिकार में आता है।
पिंकी आनंद ने कहा कि वह बुधवार को इस मुद्दे पर हलफनामा दायर करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली कूड़े के ढेर में दब रही है और मुंबई पानी में डूब रही है लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। उन्होंने ठोस कचरा प्रबंधन रणनीति पर अपनी नीतियों पर हलफनामा दायर नहीं करने पर दस राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदशों पर जुर्माना भी लगाया। इस स्थिति पर अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अफसोस जताया कि जब अदालतें हस्तक्षेप करती हैं तो न्यायाधीशों पर न्यायिक सक्रियता के नाम पर निशाना साधा जाता है।