आगरा में लोगो की नाक में दम कर देने वाले बंदरों ने बिगाड़ा लोगों के घर का बजट
आगरा में शहरवासियों की नाक में दम कर देने वाले उत्पाती बंदर घर का बजट भी बिगाड़ रहे हैं। आसमान छूती महंगाई के इस दौर में लोग बंदरों के हमले से बचने के लिए हर महीने 12 से 15 हजार रुपये खर्च करने के लिए मजबूर हैं।
यह पैसा देने पड़ता है लंगूर के किराए का। शहर की 20 से अधिक कॉलोनियों में लंगूर रखे गए हैं बंदरों से बचने के लिए। इन दिनों लंगूरों की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि आसानी से मिल भी नहीं रहे।
आवास विकास, शास्त्रीपुरम, गजानन नगर में लंगूर बंधे देखे जा सकते हैं। सुभाष पार्क के सामने बैंक कालोनी में विजिलेंस के आफिस के बराबर में भी पेड़ से लंगूर बंधा नजर आता है।
कमला नगर, बल्केश्वर, शाह गंज में भी लोग किराए पर लंगूर ले जा रहे हैं। इतना ही नहीं। दिल्ली रोड पर कई जूता फैक्ट्री में गेट पर ही लंगूर बैठे रहते हैं। इन्हें भी बंदरों के हमले से बचाव के लिए रखा गया है।
किनारी बाजार के राजकुमार गर्ग का कहना है कि उन्हें भी अपने घर किराए पर लंगूर रखना पड़ा। तीन पड़ोसियों के साथ मिलकर किराया दिया। तब 15 दिन के लिए लंगूर मिला था सात हजार रुपये में।
पुलिस लाइन में दो लंगूर रखे गए हैं। पिछले दिनों एसएसपी दफ्तर में बंदरों ने महत्वपूर्ण फाइलें फाड़ दी थी। फर्नीचर को भी नुकसान पहुंचाया था। तब यहां भी लंगूर रखा गया।
दिल्ली से खरीदकर ला रहे लंगूर
लंगूर किराए पर देने वाले विजय का कहना है कि शहर में इन दिनों 50 लंगूर किराए पर चल रहे हैं। किराए दोनों का मिलाकर लिया जाता है लंगूर का और उसे संभालने के लिए रखे गए कर्मचारी है।
यह 400 से 500 रुपये रोज है। दिल्ली से पालतू लंगूर खरीदकर लाए जा रहे हैं। वहां 20 से 25 हजार में एक लंगूर मिलता है।
पुराने शहर में फुलट्टी, किनारी बाजार, रावतवाड़ा में काफी लोगों अपने मकानों को लोहे की जाली से कवर करा लिया है। इसमें 50 हजार से दो लाख तक खर्च आता है। यह सब बंदरों से बचने के लिए किया जा रहा है।
जिस तरह ताजमहल में बंदर सैलानियों पर हमले कर रहे हैं, उसे देखकर लोग मांग कर रहे हैं कि ताज में भी लंगूर रखे जाएं। इन्हें बांधकर रखा जाएगा तो सैलानियों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इनके डर से बंदर भी नहीं आएंगे।