आजम के विरोध के बाद भी अमर सिंह जाएंगे राज्यसभा
लखनऊ। अमर सिंह भले ही समाजवादी पार्टी में न हो, लेकिन मुलायम सिंह के दिल में हैं, यह साबित हो गया। आजम खां तथा राम गोपाल के विरोध के बाद भी अमर सिंह समाजवादी पार्टी से राज्यसभा में जाएंगे। पार्टी की आज लखनऊ में संसदीय दल की बैठक में राज्यसभा के साथ ही विधान परिषद सदस्यों का नाम तय किया।
समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा सदस्य के लिए बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह, अरविन्द्र प्रताप सिंह व विशम्भर प्रसाद निषाद के नाम घोषित किया। पार्टी ने विधान परिषद सदस्य के लिए बलराम यादव, शतरुद्र प्रकाश, यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, राम सुंदर दास निषाद, जगजीवन प्रसाद, कमलेश पाठक व रणविजय सिंह के नाम तय किए हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में समाजवादी पार्टी के चुनाव प्रभारी तथा महासचिव शिवपाल यादव ने राज्यसभा तथा विधान परिषद उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा की। शिवपाल यादव ने कहा कि अमर सिंह को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं संसदीय दल की बैठक में मौजूद था। वहां पर अमर सिंह के नाम को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ। इसी के साथ बेनी प्रसाद वर्मा के साथ ही अमर सिंह भी भी छह वर्ष बाद समाजवादी पार्टी में वापसी वापसी हो गई है।
अमर सिंह पर एक नजर
अमर सिंह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य एवं महासचिव रह चुके है। उन्होंने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ से बीए, एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है।अमर सिंह के परिवार में पत्नी पंकजा कुमारी सिंह और दो पुत्रियां हैं। भारतीय राजनीति में अमर सिंह उस समय बुलंदी पर थे, जब संप्रग सरकार के अमेरिका के साथ प्रस्तावित परमाणु समझौते के कारण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार अल्पमत में आ गई थी। उस समय अमर सिंह ने ही मुलायम सिंह यादव को समर्थन देने के लिए राजी किया था।
अमर सिंह पर पर भ्रष्टाचार के कई बड़े मामले भी चल रहे हैं। नवंबर 1996 में वह राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए। 2008 में मनमोहन सरकार के विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान अमर सिंह, सुधींद्र कुलकर्णी, बीजेपी के दो सांसदों और दो अन्य को दिल्ली की एक अदालत ने 2008 के वोट के बदले नोट मामले में आरोप मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि इस दौरान संसद में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां दिखाई गई थीं।
सांसदों ने आरोप लगाया कि मनमोहन सरकार ने अमरसिंह के माध्यम से उनके वोट खरीदने की कोशिश की थी। छह सितंबर 2011 को अमर सिंह भाजपा के दो सांसदों के साथ तिहाड़ जेल भेजे गए। ‘कैश फॉर वोट’ कांड में अमर सिंह को जेल की हवा भी खानी पड़ी। अमर सिंह ने 6 जनवरी 2010 को समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। दो फरवरी 2010 को सपा प्रमुख मुलायम ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया। अमर सिंह कुछ दिनों तक राजनीतिक रूप से निष्क्रिय थे, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपनी पार्टी बना ली और उसका नाम रखा ‘राष्ट्रीय लोक मंच’ लेकिन यह पार्टी भी अमर सिंह का राजनीतिक वसंत नहीं लौटा सकी।