मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को नई जेलों को बनाने पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा-आजादी के बाद राज्य में कोई जेल नहीं बनी है। जबकि तब से अब तक आबादी में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। हाईकोर्ट ने सरकार को जेलों में ऐसी व्यवस्था करने को कहा है कि छोटे अपराधों के लिए पकड़े गए आरोपियों को अलग, विचाराधीन कैदियों व गंभीर अपराध के आरोपियों को अलग से रखा जा सके। मामला पुणे की येरवडा जेल से जुड़ा है।
यहां विचाराधीन कैदियों को वकीलों से मिलने की उचित व्यवस्था न होने के कारण आ रही दिक्कतों को आधार बनाकर गैर सरकारी संस्था जन अदालत ने जनहित याचिका दायर की है। गुरुवार को न्यायमूर्ति वीएम कानडे व न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई।
क्या कहा याचिका में
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील उदय वारुंजेकर ने कहा-पुणे की येरवडा जेल में चार हजार कैदी हैं। वहां कैदियों से मिलने के लिए 15 खिड़कियां है। इनमें से पांच खिड़कियां वकीलों के लिए है।
यह व्यवस्था कमोवेश राज्य के सभी जेलों में है। सारी जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा गया है। मिलने का समय सुबह नौ से दस व तीन से चार तय किया गया है। कैदियों से मिलनेवाले वकीलों को बाध्य किया गया है कि वे अपनी पेशे से जुड़ी वेशभूषा में आए। साथ में वकालतनामा की प्रति लाएं।
वारुंजेकर ने कहा कि यह नियमों के खिलाफ है। वकील वहां पर कोई न्यायिक काम करने नहीं जाते हैं, इसलिए वेशभूषा में आने की जरूरत नहीं है। यदि वकीलों को पहचानपत्र देखकर छोड़ा जाए तो बेहतर होगा। उन्होंने इस संबंध में दिशा-निर्देश बनाने की मांग की।
एहतियात के तौर पर उठाया यह कदम
सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि कुछ समय पहले वकील की आड़ में कैदियों के रिश्तेदार चले गए थे। और उन्होंने कैदियों को सिम कार्ड दिया था। जेल प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है।
निरीक्षण कर मांगी रिपोर्ट
खंडपीठ ने पुणे के प्रधान जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया-वे जेल का निरीक्षण करने के लिए एक अधिकारी तैनात करे। जो जेल में कैदियों की संख्या, उनके दिए जानेवाले भोजन की गुणवत्ता,सुरक्षा व वहां मौजदू शौचालय व अन्य पहलुओं को लेकर रिपोर्ट पेश करे। खंडपीठ ने सरकारी वकील से दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने व जेल के संबंध में तैयार रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
अवैध कचरा डंपिंग पर हाईकोर्ट हैरान, मुख्य सचिव से मांगा जवाब
बॉम्बे हाईकोर्ट ने देश की आर्थिक राजधानी में अवैध रुप से की जा रही कचरे की ़़डंपिंग पर हैरानी जताई है। साथ ही सरकार को मनपा को निर्माणकार्य की अनुमति पर रोक लगाने का आदेश जारी करने के बारे में विचार करने को कहा है। इससे पहले खंडपीठ ने पाया कि मुंबई में रोजाना साढे़ नौ हजार मीट्रिक टन कचरा आता है। जबकि कांजुर मार्ग में सिर्फ तीन हजार मीट्रिक टन कचरा नष्ट करने की क्षमता है। इस लिहाज से यहां साढे़ छह हजार मीट्रिक टन कचरा अवैध रुप से डंप किया जाता है। यह पूरी तरह से सॉलिड वेस्ट नियमों व हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। इसके हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 23 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि कुछ समय पहले वकील की आड़ में कैदियों के रिश्तेदार चले गए थे। और उन्होंने कैदियों को सिम कार्ड दिया था। जेल प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है।