अद्धयात्म
आज्ञाचक्र की मजबूती के लिए लगाएं मस्तक पर तिलक


हमारी दोनों भौहों के मध्य आज्ञाचक्र स्थित होता है। यह एक ऐसा चेतना केंद्र है जहां से संपूर्ण ज्ञान चेतना और क्रियात्मक चेतना का संचालन होता है। आज्ञा चक्र ही दिव्य नेत्र या तृतीय चक्षु है, जिसकी तुलना टेलीविजन राडार, टेलीस्कोप की समन्यवय युक्त ताकत से की जा सकती है।
आज्ञाचक्र सुदृढ़ होता है सुख व शांति का एहसास होता है। ओज तथा तेज बढ़ता है। तिलक लगाते ही मस्तक में एक तरह ही शीतलता, तरावट एवं ठंडक की अनुभूति होती है। तिलक में शुद्ध चंदन, कुमकुम, हल्दी का प्रयोग करें जो मुख मंडल को तेजस्वी बनाता है।