बुधवार दिनांक 02.08.17 को श्रावण सुदी दशमी पर श्रावणी वरुण पूजन किया जाएगा। मतानुसार श्रावण सुदी दशमी पर जल कलश पूजन (आदि नीर) पूजन किया जाता है। यह पूजन जल के अमृत तुल्य कार्य के निमित किया जाता है। हमारी संस्कृति में वैदिक काल से ही पंचतत्व पूजन का विधान रहा है। पंचतत्व में से जल सबसे विशिष्ट है। पौराणिक मतानुसार जल को वरुण कहा गया है। इस पर्व पर जल से भरे कलश का पूजन किया जाता है। इस पूजन में समस्त देवताओं का आवाहन कर 16 वस्तुएं जल में मिलाकर पूजन किया जाता है। जल भरा कलश देवताओं का आसन माना जाता है। जल से भरे कलश पर वरुण देव विराजते हैं। इस पूजन से सुख-समृद्धि आती है व जीवन से नीरसता का नाश होकर खुशियां भरती हैं।
विशिष्ट पूजन: जल से भरा तांबे के कलश का षोडशुपचार पूजन करें। कलश में रोली, मोली, अक्षत, शर्करा, दूध इत्यादि डालकर, अशोक के पत्ते डालकर 108 बार इस विशिष्ट मंत्र जपें। इसके बाद अशोक के पत्ते से पूरे घर में जल छिड़क दें।
विशिष्ट वरुण मंत्र: ॐ अपां पतये वरुणाय नमः।॥
विशेष पूजन मुहूर्त: प्रातः 06:55 से दिन 07:25 तक।
अभिजीत मुहूर्त: नहीं है।
अमृत काल: नहीं है।
यात्रा महूर्त: दिशाशूल – अत्तर। नक्षत्र शूल – नहीं। राहुकाल वास – दक्षिण-पश्चिम। अतः उत्तर व दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा टालें।
आज का गुडलक ज्ञान
गुडलक कलर: लाल।
गुडलक दिशा: पूर्व।
गुडलक टाइम: शाम 18:08 से शाम 19:50 तक।
गुडलक मंत्र: वं वरुणाय नमः॥
गुडलक टिप: स्वास्थ में सुधार के लिए पानी में दूध मिलाकर स्नान करें।
गुडलक फॉर बर्थडे: किसी जलाशय नदी या समंदर में मछलियों को दाना डालने से दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलेगी।
गुडलक फॉर एनिवर्सरी: जीवनसाथी संग शिवालय में देवी पार्वती पर मेहंदी चढ़ाने से दांपत्य से मतभेद समाप्त होंगे।
(आचार्य कमल नंदलाल)