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आज भी गौ मूत्र से नहाते हैं यहां के लोग

cow_1463554706दक्षिणी सूड़ान की मुंदारी प्रजाति के आदिवासी गाय और बैलों से अटूट प्यार करते हैं और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं। गाय की पूजा करना और उनकी देखभाल करना ही इनका एकमात्र काम है। तस्वीरों में देखिए गाए के साथ इनकी अजीबो गरीब जिंदगी-

मुंदारी जनजाति के लोग गौ मूत्र से नहाते है क्योंकि उन लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनके शरीर में कोई रोग नहीं होता। साथ ही त्वचा हल्के नारंगी रंग की हो जाती है जो कि उनके लिए अच्छा है।

ये लोग इन्फेक्शन से बचने के लिए गाय से सीधा दूध निकालकर उसे पी लेते है।

यहां गाय को भगवान की तरह पूजा जाता है। इनका मानना है कि गाय ही इनके जीवन को बचा सकती है इसलिए ये लोग बकायदा बंदूक लेकर उसकी रक्षा करते हैं। हर साल करीब 3,50,000 गाय और बैलों की चोरी होती है और इसके चलते 2500 लोग मारे जाते हैं।

यहां की महिलाएं गाय के गोबर से बने उपलो को जलाकर बनाई गई राख को टेलकम पाउडर की तरह मुंह पर लगाती हैं।  इनका मानना है कि इससे त्वचा में निखार आता है। 

गोबर की राख इनके जीवन का आधार है। इसी राख पर ये सोते है और बीमारियों में इसी राख से इलाज करते हैं। उन लोगों का मानना है कि सूडान की गर्मी से यह राख ही बचाती है।

यहां एक गाय या एक बैल की कीमत करीब 500 डॉलर है। गाय और बैल को यहां वीर यौद्धा और जीवन रक्षक की तरह पूजा जाता है।

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